नैनीताल में साइकिल रिक्शा अब इतिहास की बात हुई
बीते दिन पर्यटन नगरी नैनीताल में ई-रिक्शे का संचालन शुरु हुआ. इसी के साथ नैनीताल में 175 सालों तक सवरियां ढोने वाला साईकिल रिक्शा इतिहास की बात हो गया. माल रोड में 2 आने से शुरू होकर 20 रूपय... Read more
हरेला पर लिखो और उपहार पाओ
दुनिया भर में आज तक किसी भी देश की मुख्य नीति में पर्यावरण कोई मुद्दा नहीं है वहीं उत्तराखंड का समाज साल में तीन बार पर्यावरण से जुड़ा हरेला लोकपर्व मनाता है. उत्तराखंड के समाज में मनाये जान... Read more
हनोल का महासू देवता मंदिर
देवभूमि उत्तराखण्ड को शिव का निवास माना गया है. यहां भगवान शिव को कई रूपों में पूजा जाता है. हिमाचल सीमा से सटे उत्तराखण्ड के जौनसार-बावर तथा रवाई जौनपुर में पूजे जाने वाले महासू देवता इन्ही... Read more
अभी चंद दिनों पहले कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम प्रोफेसर एन.एस. बिष्ट जी सेवानिवृत हो गये और बहुत से लोगों को इस बात का पता ही नहीं चला. उन्हें देखकर लगता ही नहीं था कि वह सेवानिवृति के... Read more
पाइन्स तब हमारे लिए ‘पेनल्टी प्वाइन्ट’ हुआ करता
पर्यटक देशी हो अथवा विदेशी अथवा सूदूर पहाड़ों के गंवई हों, नैनीताल को एक बार देखने की चाहत सभी में रहती है. हो भी क्यों न, छोटी विलायत जो ठहरा नैनीताल. नैनीताल की सुषमा अपनी जगह है, जो कुदरत... Read more
समळौण्या होती सैकोट के सेरों की रोपाई
गढ़वाल के उन गिने-चुने गाँवों में से एक है सैकोट जिनकी उपजाऊ ज़मीन पहली नज़र में ही मन को भा जाती है. खेती ऐसी जैसे कुदरत ने गाँव के आगे हरियाला आँगन बना के दिया हो. सिंचित हरी-भरी खेती वाला... Read more
संस्मरण -2 यूं तो चिल्किया से दशौली, डौणू, भदीणा का कोई सीधा नाता नहीं था. प्राइमरी की पढ़ाई करने ग्राम डौणू और भदीणा से यहां कोई नहीं जाता था. भदीणा से चिल्किया जाने का कोई सीधा-साधा रास्त... Read more
मां के गर्भ में शिशु उसका ही अंश होता है और हर मां को अपना शिशु प्यारा होता है. यही कारण है कि उसे जन्म देते समय वह असहनीय दर्द भी सहर्ष सहन करती है. दरअसल गर्भावस्था महिलाओं के लिये महत्वपू... Read more
अब सुनने को नहीं मिलते हैं पहाड़ के मेलों में ‘बैर’
वैरा जिसे बैर भी कहते हैं, इसका शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत-युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता है. इसमें एक पक्ष दूसरे को पराजित करने की चेष्टा करता है. अपने पक्ष का समर्थन और दूसरे पक्ष... Read more
भाबर के इलाके वास्तव में पहाड़ियों की ही भूमि है
एक समय ऐसा भी था जब कुमाऊं में भाबर की जमीन पहाड़ियों की हुआ करती थी. पहाड़ में रहने वाले लोगों की भाबर में स्थित इन जमीनों में उनके स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के घर हुआ करते थे. नवम्बर से... Read more