उत्तराखण्ड के शौका
देवभूमि उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला एवं मुनस्यारी तहसील क्षेत्र में रहने वाली जनजाति (मूलनिवासी) अपने क्षेत्र की अन्य जातियों द्वारा शौका नाम से जाने जाते हैं. माना जाता ह... Read more
रोपाई और हुड़किया बौल
आजकल पहाड़ों में धान की रोपाई का मौसम है. उत्तराखंड में धान की बुआई के लिये लगाई जाने वाली रोपाई जिसे गढ़वाल में रोपणी भी कहते हैं, सामूहिक भागीदारी की मिसाल है. इस दौरान गांव में उत्सव का स... Read more
लंबे समय में प्रशासनिक एवं राजनैतिक रूप से उपेक्षित पहाड़ के सुदूरवर्ती गांवों में भी विज्ञान एवं तकनीकी का एक समृद्ध स्वरूप विकसित होता रहा है. यहां भी लोक के अपने हरफनमौला शिल्पी रहे हैं ज... Read more
बूबू और उनके बर्मा के किस्से
आज हम अपने पहाड़ों की खूबसूरती, ताजी हवा, शुद्ध पानी, संपदा व संस्कृति का गुणगान करते नहीं थकते. यह सब हमें ऐसे ही नहीं मिला है. हमारे पहाड़ों को बचाने के लिए हमारे बड़बाज्यू, बूबू, आमा, काक... Read more
गढ़वाल के वीर सेनापति ‘लोदी रिखोला’ की कहानी
पट्टी मल्ला बदलपुर के बयेली गांव में लगभग सन 1590 ई० में लोदी रिखोला का जन्म रिखोला परिवार में हुआ था. उनके पिता अपने इलाके के एक प्रतिष्ठित थोकदार थे. लोदी रिखोला का बचपन अपने गांव में ही ब... Read more
पहाड़ी संस्कृति को अन्तराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले मोहन उप्रेती की पुण्यतिथि है आज
1955 का साल था. दुनिया में शीतयुद्ध की हवा गर्मा रही थी. भारत के दौरे पर सोवियत रूस के दो बड़े नेता आये और भारत और सोवियत रूस के बीच संबंधों का एक नया अध्याय लिखा जाना था. रूस से आये दो मेहम... Read more
ओ परुआ बौज्यू की गायिका वीना तिवारी
यदि उत्तराखंड और विशेषरूप से कुमाऊं अंचल की बात करूं तो यहां की सर्वाधिक पसंदीदा फीमेल वाइस नईमा खान उप्रेती, वीना तिवारी और कबूतरी देवी रही हैं और इन सभी गायिकाओं ने अपनी-अपनी कर्णप्रिय आवा... Read more
पहाड़ की लोक परम्पराओं, लोक आस्थाओं एवं लोकपर्वों की विशिष्टता के पीछे देवभूमि के परिवेश का प्रभाव तो है ही साथ ही यहॉ की विशिष्ट भौगोलिक संरचना भी दूसरे क्षेत्रों से इसे अनूठी पहचान देती है... Read more
साइकिल, उस्ताद और शिक्षा
अपने जमाने में चलन ऐसा नहीं था कि तीन साल का हो जाने पर बच्चे को तिपहिया साइकिल दिलायी जाए और छः साल का होने पर दुपहिया साइड सपोर्टर साइकिल. ड्राइविंग का शौक हमने तार और रबर के पहिये चला कर... Read more
पहाड़ों में गर्मियों के दिन और बच्चे
गर्मियों के दिनों में जब हम स्कूल की छुट्टी के बाद घर पहुंचते थे ईजा, बाज्यू, जेठजा सब लोग सिन्तोला की गाड़ में भीमल का लोत यानी रेशा निकालने गए होते थे. खाना बनाने के गोठ में चूल्हे में कोय... Read more