भारत और नेपाल की सीमा पर पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से तकरीबन 68 किमी. पर जौलजीबी कस्बा बसा है. सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण एक जमाने में यहीं से नोटिफाइड एरिया शुरू होता था. गोरी नदी पर बने प... Read more
बैजनाथ के शिव मंदिर की तस्वीरें
बैजनाथ का मन्दिर समूह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील में गरुड़ से कुल 2 किलोमीटर की दूरी पर है. गोमती नदी के किनारे पर स्थित यह बैजनाथ मन्दिर (Baijnath Temple ) लगभग एक हज़ार वर्ष पह... Read more
अथ आपदा राहत कथा
सौदा–सुभाष तराण वैसे तो उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदाएं अपना कहर अमूमन साल दर साल बरपाते रहती हैं लेकिन जब से भारतीय राजनीति की कोख ने विकास को जन्मा है तब से इनकी मार... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 32
कुमाऊँ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी व्यावसायिक नगर के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहा है. शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में विद्वानों की महफिलें आज भी यहाँ जुटती हैं. यद्यपि व्यावस... Read more
पिथौरागढ़ का हनुमान मंदिर
वर्तमान में पिथौरागढ़ नगर के लगभग बीचों बीच एक हनुमान का मंदिर है. 1970 में जब इस मंदिर का निर्माण हुआ उस समय यह मुख्य नगर से बिलकुल हटकर एक कोने की ओर था. कुमौड़ गांव से लगे इस मंदिर के निर्म... Read more
झांकर सैम मंदिर की तस्वीरें
भगवान शिव के सबसे विख्यात मंदिरों में से एक उत्तराखंड के जागेश्वर धाम से तीन किलोमीटर की दूरी पर झांकर सैम का मंदिर (Jhankar Saim Temple) अवस्थित है. माना जाता है कि जागेश्वर धाम में तरुण जा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 31
रानी बाग यहां का एक पवित्र स्थान माना जाता है यहां एक पुराना चित्रेश्वर शिवालय के नाम से मंदिर है इस मंदिर को 25 जनवरी 1880 में रामगढ़ के चतुर सिंह द्वारा बनवाकर प्रतिष्ठित किया गया था यहां... Read more
नानकमत्ता का दीपावली मेला
नानकमत्ता जाना जाता है सिक्खों के पवित्र तीर्थ स्थल गुरुद्वारे, बाउली साहिब, दूध का कुँआ और 24 घंटे चलने वाले लंगर के लिए. इन विशेषताओं के अलावा नानकमत्ता की एक और विशेषता है और वह है यहाँ ह... Read more
आयरन वॉल ऑफ़ इंडिया : त्रिलोक सिंह बसेड़ा
1962 में एशियन गेम्स जकार्ता में आयोजित किये गये थे. कोच सैयद अब्दुल रहमान के नेतृत्व वाली भारतीय फुटबाल टीम का यह स्वर्णिम दौर था. एशियन गेम्स के अपने पहले ग्रुप मैच में भारत को दक्षिण कोरि... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 30
बाबा नीम करोली महाराज को लेकर भी श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा रही है अपने बचपन को याद करते हुए डॉ. मुनगली बताते हैं सन 1952 में जब वह दो-तीन साल के थे घर से बाहर घूमते हुए खो गए. ढूंढ खोज के... Read more