कुली बेगार आन्दोलन
11 जनवरी 1921 की शक्ति में बदरी दत्त पाण्डे का ‘बेगार उठा लो’ का आह्वान इसी क्रम में था. 1921 के आरम्भ में कुमाऊँ का सामाजिक-राजनैतिक तापमान अपनी पराकाष्ठा पर था. गाँवों- विशेष रूप से समस्त... Read more
पढ़ते हुए लोग सबसे खूबसूरत होते हैं
“इस दुनिया में मैं कहीं भी जाऊं मुझे किताबों में डूबे लोग दीखते हैं. इस बात का कोई मतलब नहीं वे लोग अमीर हों, गरीब हों, बूढ़े हों या जवान – अपनी किताबों में मैंने उन्हें सुकून, आराम, सूचना, म... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 49
हैड़ाखान बाबा की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद एक किशोर वय का बाबा हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इसका कोई पुख्ता सबूत तो नहीं था किन्तु बताया गया कि उसने एक बाबा को पहाड़ी से नीचे गिरा कर... Read more
कुमाऊं में पारम्परिक विवाह प्रथा – 2
(पिछली कड़ी: कुमाऊं अंचल में पारम्परिक विवाह प्रथा – 1) गणेश पूजा. वैवाहिक कार्य बिना किसी बाधा के अच्छी तरह से सम्पन्न हों इस कामना के निमित्त वर व कन्या पक्ष के लोग अपने – अपने... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 48
तमाम जुड़ावों के बीच उनके साथ बाबा हैड़ाखान को लेकर मेरा मतैक्य नहीं हो सका. वे 1970 में बाबा हैड़ाखान के भक्त बन गए और कुछ ऐसी अविश्वसनीय बातों की चर्चा उनके बारे में करने लगते कि सहज में उनका... Read more
कुमाऊं में पारम्परिक विवाह प्रथा – 1
पुरातन काल से ही भारतीय हिन्दू समाज में विवाह को जीवन का एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है. विवाह स्त्री – पुरुष का मिलन मात्र नहीं अपितु एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जहां से मानव वंश को... Read more
मैदानी क्षेत्र में मनायी जाने वाली दीपावली के ठीक एक माह बाद उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल में जौनपुर और जौनसार क्षेत्र में परंपरागत त्यौहार मनाया जाता है जिसे मंगसीर बग्वाल कहा जाता है. पिछले सा... Read more
गंगोलीहाट का हाट कालिका मंदिर
हाट कालिका मंदिर -सुमन जोशी पूरे कुमाऊं में हाट कालिका के नाम से विख्यात गंगोलीहाट के महाकाली मंदिर की कहानी भी उसकी ख्याति के अनुरूप है. पांच हजार साल पूर्व लिखे गए स्कंद पुराण के मानसखंड म... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 47
सन् 1988 में पीपुल्स कालेज के साथ ‘जेम पार्क’ यानी रत्न उद्यान की अखाड़ेबाजी कुछ समय तक चर्चा का विषय बनी रही. कहा गया कि सौभाग्य, श्रृंगार और वैभव का प्रतीक अब न केवल हल्द्वानी नगर, कुमाऊॅं... Read more
छुरमल देवता की कथा
लोकदेवता छुरमल को सोर-पिथौरागढ़ के उत्तरी क्षेत्रों में पूजा जाता है. लोकपरम्परा के अनुसार छुरमल के पिता का नाम कालसिण था. दोनों पिता-पुत्र की कहानी एक दूसरे से गहरे जुड़ी हुई है. छुरमल का मुख... Read more