दिनेश लाल – उत्तराखण्ड के लोकजीवन को तराशता कलाकार
शौक के लिए आपका जूनून आपकी कई तरह की समस्याओं का समाधान ला सकता है, कुछ ऐसी ही कहानी है दिनेश लाल की. 1980 में ग्राम सभा जेलम, पोस्ट खंडोगी, टिहरी गढ़वाल के मूर्ति मिस्त्री के घर में पैदा हुए... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 61
1860 के करीब पटवा बिरादी ने रामपुर से आकर हल्द्वानी में कारोबार शुरू किया था. तब पैंठ पड़ाव में सड़के किनारे बैठकर चूड़ी-चरेऊ, धमेली-फूना इत्यादि सामान ये लोग बेचा करते थे. मूल रूप से बेलियों क... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 60
करीब सवा सौ साल पूर्व अपने मूल स्थान जिला सीकर राजस्थान के ग्राम कांवट निकट नीम का थाना से रानीखेत पहुंचे रामनिवास जी के तीन पुत्र –सूरजमल, ब्रदीप्रसाद, जगदीश प्रसाद अग्रवाल हुए. इस पर... Read more
डोई का सालाना डोयाट – इस दफा स्पीति
घुमक्कड़ी धर्म को बढ़ाने के क्रम में आखिरकार आज अपने सालाना डोयाट (यात्रा) पर निकल पड़ा. पिछले साल हमख्याल दोस्त उमेश पुजारी के साथ हुई नेपाल भूटान की यात्रा के बाद इस साल यूं अकेले निकलूंगा... Read more
गढ़वाल मंडल के जौनपुर क्षेत्र की सिल्वाड़ पट्टी के बाड़ासारी गाँव में भदरीगाड़ के ऊपर तिरस की सुरम्य घाटी में स्थानीय तिलकादेवी का मंदिर स्थापित है. इसी के ऊपर नागटिब्बा नामक स्थान पर नागदेवता क... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 59
सन 1900 के करीब अलीगढ़ के गांव काजमाबाद से रामचन्द्र जी भी यहां आये और साझे में हलवाई की दुकान पर कार्य शुरू कर दी. बाद में उन्होंने नया बाजार में खुद की हलवाई की दुकान खोली और फिर रस्सी बाजा... Read more
उत्तराखण्ड के बौद्ध स्थविर
उत्तराखंड का इतिहास भाग – 8 गंगा और रामगंगा तक फैली भाबर की उत्तरी सीमा पर फैली शिवालिक की निचली शाखा का प्राचीन नाम मयूरपर्वत या मोरगिरी था. गंगाजी के पूर्वी तट से चंडीघाट होकर लक्ष्मणझूला... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 58
इस परिवार की दूसरी फर्म जवाहरलाल जगन्नाथ प्रसाद नाम से बनी, जिसमें मिश्री गट्टा, बूरा का कार्य होता था. सदर बाजार, पियर्सनगंज क्षेत्र में इनका कारोबार था. लाला जगन्नाथ प्रसाद आयुर्वेद के अच्... Read more
मुनस्यारी का लाल बुरांश
कुमाऊंनी में जब भावना, कमला, चंदा, हिमा, बब्ली जैसी नायिकाओं के नाम वाले गीतों का वर्चस्व है उस समय भल मेरो मुनस्यार गीत के शब्द आपको एक नई उम्मीद देते हैं. जब कुमाऊंनी में गीत के नाम पर जीज... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 57
यूसुफ साहब बताते हैं कि उन्होंने बचपन में अपने बुजुर्गों से रामगढ़, नथुवाखान, बागेश्वर इत्यादि नाम सुने थे. इन जगहों में वह जाया करते थे. वह फख्र से कहते हैं कि बंजारा बिरादरी पर पहाड़ को पूरा... Read more