सर्वप्रथम पाली पछाऊँ शब्द की व्युत्पत्ति कत्यूरी शासन काल में हुई. उत्तराखण्ड में कत्यूरी शासनकाल के दौरान कत्यूरी शासकों की एक शाखा यहाँ आकर बस गई और लखनपुर कोट अपनी राजधानी बनाई. इसकी स्था... Read more
भैरव शिव के उग्र रूप हैं. पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू में भैरव के दो स्वरूपों उन्मुक्त भैरव व कीर्तिमुख भैरव के मुख्य दर्शन होते है. नेपाल की समृद्ध धरा शिव भूमि वर्णित है. वह जितनी मनमोहक दृश... Read more
सिद्ध साधकों की कर्मस्थली : उत्तराखंड
उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौन्दर्य आध्यात्मिक शान्ति का जन्मदाता रहा है. उच्च हिमाच्छादित शिखर, कल-कल करती हुई धवल नदियाँ और देवभूमि ने साधकों को अपनी ओर आकर्षित किया. इसी पर्वत प्रदेश की कन्द... Read more
कुट्टनीमतम् में कहा गया है कि जो लोग भ्रमण न कर के जन-जन के वेश, शील और वार्तालाप का ज्ञान नहीं प्राप्त करते वे बैल के समान हैं (श्लोक 212). सुभाषित भांडागार में यात्रा का महत्त्व बताते हुए... Read more
आज से लगेगा जौलजीबी का मेला
अब तो यह बीते बरसों की बात रही पर कभी जौलजीबी का मेला इलाके का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला हुआ करता था. तीन देशों तिब्बत, नेपाल और भारत की साझी संस्कृति सजती काली और गोरी के संगम पर. जौलजीबी के... Read more
कहने को तो माहवारी प्रकृति की देन है, परन्तु लोगो ने इसे परंपरा से ऐसा बांधा है कि यह गांठ खुलने का नाम ही नही ले रही है. इसके नाम पर महिलाओं और किशोरियों के साथ शोषण का सिलसिला सदियों से अन... Read more
वीर भड़ माधो सिंह भंडारी की कहानी
एक सिंह रैंदो बण, एक सिंग गाय काएक सिंह ‘माधोसिंह’ और सिंह काहे का (Madho Singh Bhandari) जिन रणबांकुरे श्री माधोसिंह भण्डारी के लिये आज भी सारे गढ़वाल में उपरोक्त उक्ति प्रचलित... Read more
कुमाऊं में दीवाली का आखिरी दिन होता है आज
आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन है. उत्तराखंड के गावों में कार्तिक महीने की एकादशी बड़ी पावन मानी जाती है. पहाड़ों में आज का दिन पुरानी दीवाली, इगास, तुलसी एकादशी या बल्दिया एकादशी जै... Read more
इगास बग्वाल के दिन भैला खेलने का विशिष्ट रिवाज है
इगास बग्वाल के दिन भैला खेलने का विशिष्ठ रिवाज है. यह चीड़ की लीसायुक्त लकड़ी से बनाया जाता है. यह लकड़ी बहुत ज्वलनशील होती है. इसे दली या छिल्ला कहा जाता है. जहां चीड़ के जंगल न हों वहां लो... Read more
जोहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वर्तमान का अतीत में समाहित होकर भविष्य में उजागर होना ही इतिहास है. यह आलेख, शिलालेख, गुहा चित्र, ताम्र पत्र, धातु या मृदा भांड, मूर्ति अथवा जीवाश्म के रूप में प्राप्त वस्तुओं के सूक्ष्म अध्... Read more