कुमाऊनी लोक साहित्य में संस्कार गीत
आप काफल ट्री की आर्थिक मदद कर सकते हैं संस्कार गीत संस्कार सम्बन्धी लोक गीत महिलाओं द्वारा गाये जाते हैं. यह प्रत्येक शुभ अवसर पर बच्चे के जन्म से लेकर यज्ञोपवीत, विवाह आदि जीवन से... Read more
जीवन और जीविका की सुनहरी राह बनाते विनीता-अरविंद
कोरोना महामारी ने समाज के बहुसंख्यक लोगों की जीवन-दिशा को बदला है. जीवन में अचानक आये इस संकट ने लोगों को हताश-निराश तो किया परन्तु उनके मन-मस्तिष्क में अन्तर्निहित शक्तियों और हुनर को उभारा... Read more
उत्तराखंड में खेती
खेती के इतिहास का सभ्यता के विकास के साथ अटूट सम्बन्ध है. इसी के आधार पर मनुष्य अपने समाज की संरचना कर पाया. परन्तु दुर्भाग्यवश इतिहासकारों का ध्यान भारतीय खेती के इतिहास, विशेषकर हिमालयी खे... Read more
बेहद ख़ास है कुमाऊनी रायता
रैत यानी कि रायता. कुमाऊं में इसका ख़ास महत्व है. जिस तरह मैदानों में पनीर की किसी सब्जी या दाल मखनी के बगैर कोई भी थाली अधूरी है, उसी तरह कुमाऊं की थाली भी रैत के बिना अधूरी है. कुमाऊनी राय... Read more
सर्वप्रथम पाली पछाऊँ शब्द की व्युत्पत्ति कत्यूरी शासन काल में हुई. उत्तराखण्ड में कत्यूरी शासनकाल के दौरान कत्यूरी शासकों की एक शाखा यहाँ आकर बस गई और लखनपुर कोट अपनी राजधानी बनाई. इसकी स्था... Read more
भैरव शिव के उग्र रूप हैं. पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू में भैरव के दो स्वरूपों उन्मुक्त भैरव व कीर्तिमुख भैरव के मुख्य दर्शन होते है. नेपाल की समृद्ध धरा शिव भूमि वर्णित है. वह जितनी मनमोहक दृश... Read more
सिद्ध साधकों की कर्मस्थली : उत्तराखंड
उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौन्दर्य आध्यात्मिक शान्ति का जन्मदाता रहा है. उच्च हिमाच्छादित शिखर, कल-कल करती हुई धवल नदियाँ और देवभूमि ने साधकों को अपनी ओर आकर्षित किया. इसी पर्वत प्रदेश की कन्द... Read more
कुट्टनीमतम् में कहा गया है कि जो लोग भ्रमण न कर के जन-जन के वेश, शील और वार्तालाप का ज्ञान नहीं प्राप्त करते वे बैल के समान हैं (श्लोक 212). सुभाषित भांडागार में यात्रा का महत्त्व बताते हुए... Read more
आज से लगेगा जौलजीबी का मेला
अब तो यह बीते बरसों की बात रही पर कभी जौलजीबी का मेला इलाके का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला हुआ करता था. तीन देशों तिब्बत, नेपाल और भारत की साझी संस्कृति सजती काली और गोरी के संगम पर. जौलजीबी के... Read more
कहने को तो माहवारी प्रकृति की देन है, परन्तु लोगो ने इसे परंपरा से ऐसा बांधा है कि यह गांठ खुलने का नाम ही नही ले रही है. इसके नाम पर महिलाओं और किशोरियों के साथ शोषण का सिलसिला सदियों से अन... Read more