चट्टी: चारधाम यात्रा के पारंपरिक पड़ाव
आज उत्तराखण्ड की चार धाम यात्रा के सभी पड़ाव सड़क व वायु मार्ग से जुड़े हुए हैं. यात्रा मार्गों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम समेत द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के अलावा भी सैकड़ों होटल, सारे, होम स्ट... Read more
उत्तराखंड में कोट की माई भ्रामरी आदि शक्ति नंदा का ही एक रूप है. कत्यूर घाटी क्षेत्र में मां शक्ति भ्रामरी विशेष रूप से पूजी जाती है. कोट की माई भ्रामरी की जागर में एक कथा बतायी जाती है कि क... Read more
भेली धरना या भेलिधरण कुमाऊँ के वैवाहिक अनुष्ठानों में सगाई की एक रस्म की तरह ही है. इसका शाब्दिक अर्थ है भेली (गुड़ की पिंडी रखना,) उत्तराखण्ड में गुड़ की एक विशेष तरह की पिंडी को गुड़ की भेली... Read more
पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में लकड़ी के बर्तनों का उपयोग लगभग बंद हो गया है. कभी दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले लकड़ी के इन बर्तनों के नाम तक आज की पीढ़ी नहीं जानती होगी. लकड़ी के बने इन बर्... Read more
चम्पावत का किला, राजबुंगा, चम्पावत गढ़ी
चम्पावत का किला राजबुंगा, चम्पावत गढ़ी, राजबुड्डा अर्थात राजा की गढ़ी भी कहा जाता है. अंडाकार आकार के किले की प्राचीर की दीवार लगभग 3.50 मीटर मोटी और किले की भौगौलिक स्थिति के अनुसार 4 से लगभग... Read more
मासी का सोमनाथ मेला
सोमनाथ भगवान शंकर का पर्यायवाची नाम है. सोमनाथेश्वर नामक स्थान पर झाड़ियों के बीच एक गुफा के अन्दर शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी. तब वहां पर कनोडिया राजपूतों ने एक शिवालय का निर्माण करवाया था.... Read more
अल्मोड़ा की एक शाम
“दुनिया की हर शहर की शाम को नोटिस किया जाना चाहिए” ऊपर लिखे इन ग्यारह शब्दों में कोई फलसफा नहीं है,जो उसे खोजने की मगज़मारी की जाए,पर इतना जरूर है कि दिनभर की मगजमारी से तंग आदमजा... Read more
टिहरी गढ़वाल के श्रीकोट गाँव में शादी समारोह के दौरान सवर्णों द्वारा बेरहमी से पीटे गए युवक की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मामले का संज्ञान राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने लिया और अपन... Read more
उत्तराखंड में 108 एम्बुलेंस सेवा के 700 से अधिक कर्मचारियों की सेवाओं समाप्त कर दी गयी हैं. कारण यह कि 108 सेवा का ठेका एक नयी कंपनी को मिल गया है. 108 सेवा शुरू हुई थी तो इसको संचालित करने... Read more
पत्तियों से बनने वाले जिन बर्तनों को हमने छोड़ा, जर्मनी वाले उससे कमा रहे हैं लाखों
पहाड़ों में आज भी शादी ब्याह, जनेऊ, नामकरण, श्राद्ध-भोज आदि में आज भी हमें पत्तियों द्वारा निर्मित कटोरीनुमा एक बर्तन देखने को मिल जाता है. पत्तों से बने इस कटोरीनुमा बर्तन को कहते हैं पुड़ा.... Read more