तराई-भाबर की लीची न खाई तो क्या खाया
लीची आ गई हैं. बाग-बगीचों में, वहां से तोड़कर बाजारों में और मेरे घर पर भी. लीची मेरा प्रिय फल रहा है. इतना प्रिय कि पहले एक बैठकी में पांच किलो तक उदरस्थ कर लेता था और अब भी कम से कम दो किल... Read more
गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं. पहाड़ों में इन दिनों दिल्ली और अन्य बड़े शहरों के बच्चे ठंडी हवा में खूब मौज भी काट रहे होंगे. उत्तराखंड के लोग इस लिहाज बड़े सौभाग्यशाली हैं कि उनके पास... Read more
पुण्यतिथि विशेष: पप्पू कार्की हमेशा याद आएंगे
प्रवेन्द्र सिंह कार्की उर्फ़ पप्पू कार्की (30 जून 1984-9 जून 2018) आज ही के दिन एक साल पहले सड़क दुर्घटना में उत्तराखण्ड की नयी पीढ़ी के अग्रणी लोकगायक पप्पू कार्की का निधन हो गया था. मात्र 34... Read more
लैंसडाउन : गढ़वाल रायफल्स का गौरवशाली केंद्र
लैंसडाउन उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल का एक पौड़ी जिले का एक खूबसूरत पहाड़ी कस्बा है. 2001 की जनगणना के आधार पर लैंसडाउन की आबादी सात हजार से कुछ ज्यादा थी. कालीडांडा पहाड़ी की ढलान पर बसे लैंसडाउन... Read more
सोर घाटी में गंगोत्री गर्ब्याल राजकीय बालिका इन्टर कालेज के परिसर में समय एक किला या गढ़ हुआ करता था. 1960 में स्कूल के सभागार निर्माण हेतु इसे तोड़ दिया गया. इस किले का लोकप्रिय नाम था खड़कोट... Read more
उत्तराखण्ड की अध्यात्मिक आस्था एवं विश्वासों में से एक है उच्यौन, उचान, उच्याणा, उच्याणी. जब कोई व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता है और किसी भी इलाज से उसे कोई फायदा नहीं होता तब उसे स्थानीय भूत-प्रे... Read more
चंद शासकों ने अपनी खस प्रजा को नियंत्रित करने हेतु हिमांचल से योद्धा बुलाये थे. हिमांचल से बुलाये इन योद्धाओं को चंद शासकों ने अपनी सेना में सैनिक और ऊंचे पदों पर रखा. कुमाऊं में कांगड़ा और अ... Read more
अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे
बात सन् 1982 के शुरुआती दिनों की है जब आमा लोहे के सन्दूक में पूरा पहाड़ समेटकर वाया बरेली यहाँ आयी थी. साल – डेढ़ साल ही रही होंगी बरेली में ! वर्ष 1970 से पूर्व दो – तीन बार गर्... Read more
नंदाकोट पर्वत की तलहटी कुमाऊँ की प्रसिद्ध नदियों, सरयू व गोमती के तट पर बसा है दानपुर परगना. 1997 में बागेश्वर जिले में शामिल किये जाने से पहले तक दानपुर अल्मोड़ा जिले का हिस्सा हुआ करता था.... Read more
भीमताल और टूट चुके पत्थर का दर्द
शायद 69-70 के दशक की बात होगी, मैं तब भीमताल के एल. पी. इंटर कॉलेज में आठवीं या नवीं का छात्र रहा होउंगा. जून के आख़िरी सप्ताह या फिर जुलाई की शुरुवात थी. शाम के वक्त अचानक एक खबर सुनी, बाज़ार... Read more