पहाड़ियों की मेहनत के प्रतीक घास के लूटे
बरसात के बाद मौसम में पहाड़ हरी लम्बी घास से लद जाते हैं. इस घास का प्रयोग यहां के लोग अपने जानवरों को खिलाने के लिये करते हैं. इन दिनों हरे पहाड़ों के बीच लाल-पीली रंगीन साड़ियों में पहाड़ की म... Read more
उस ज़माने के अफ़सर ऐसे हुआ करते थे : कुमाऊं कमिश्नर पर्सी विंडहैम का किस्सा
वर्ष 1913 एक दिन, करीब 8 बजे जब मैं किच्छा में एक स्कूल का निरीक्षण कर रहा था, एक अध्यापक ने मुझे सूचित किया कि कमिश्नर स्कूल देखने आने वाले हैं. मुझे बुखार था और शिथिलता के कारण कोट-पैन्ट प... Read more
सी. डब्लू. मरफी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊँ’ (1906) से आप अनेक दिलचस्प विवरण पढ़ चुके हैं. आज इस किताब से पढ़िए अल्मोड़ा और नैनीताल के बीच आने-जाने की व्यवस्था के बारे में कुछ रोच... Read more
केदारनाद की टोकरी से हरेले का गीत
पिछले कुछ सालों से उत्तराखण्ड के युवाओं द्वारा लोक संगीत को नए कलेवर में पेश करने का चलन देखने में आया है. इन कोशिशों में गाने को भौंडा बनाने के बजाय उनकी पहाड़ी आत्मा को बचाये-बनाये रखने के... Read more
आज सरकार, समाज सभी हरेला को केवल पर्यावरण से जोड़ने की जुगत में लगे हैं. इसमें सभी के अपने फायदे हैं. हरेला पर्व को केवल पर्यावरण के साथ जोड़ने का एक गंभीर परिणाम यह होगा कि हरेला कुछ वर्षों म... Read more
रैमजे ने शुरु कराई कुमाऊं में आलू की खेती
आलू-पालक, आलू-जीरा, आलू-टमाटर, आलू-मटर, दमा आलू और भी अनेकों ऐसी सब्ज़ियां हैं जो बिना आलू के अधूरी हैं. आज आलू के बगैर हम अपने किसी खाने की कल्पना नहीं कर सकते. अगर दुनिया में आलू ना होता त... Read more
कहते हैं बुज़ुर्गों की डांट-फटकार बच्चों के लिए जीवन का सबब होती थी.मां की डांट को बच्चे नज़रअंदाज़ कर जाते थे लेकिन आमा-बूबू की डांट सुनते ही सन्न रह जाते थे. समय काफ़ी बदल चुका है. अब न तो... Read more
बरसों पहले कोकूकोट में कोकू रावत नाम का एक राजा हुआ करता था. राजा कोकू की सात रानियां थी लेकिन कोई पुत्र न था. इसलिए राजा ने एक और विवाह कुंजावती नाम की अद्वितीय सुंदर लड़की से किया. कोकू रा... Read more
पौड़ी का कण्डोलिया ठाकुर मंदिर
माना जाता है कि चंद साम्राज्य की राजधानी चम्पावत से डुंगरियाल-नेगी जातियों से सम्बन्ध रखने वाले कुछ परिवार अपना मूल स्थान छोड़ कर पौड़ी में आ कर बसे थे. जैसी कि परम्परा थी इस तरह स्थान बदलने व... Read more
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में अवस्थित सीमान्त व्यांस घाटी के पहले गाँव बूदी से गर्ब्यांग तक की दूरी कुल 9 किलोमीटर है. पिछले कोई पचास साल से इस गाँव को ‘धंसता हुआ गाँव’ की... Read more