अपने पितरों के प्रति श्रद्धा का पर्व है श्राद्ध
मान्यता व आस्था का पर्व है अपने पितरों के प्रति श्रद्धा का पर्व है श्राद्ध. श्राद्धम वा पितृयज्ञ: स्यात (कात्यायन स्मृति) अर्थात पितृयज्ञ का नाम ही श्राद्ध है. प्राणी स्थूल देह है और जीव चेत... Read more
अल्मोड़े का प्यारा पानी
अल्मोड़ा के सुनार मोहल्ले में एक पुरानी दुकान है – श्याम लाल हीरा लाल एंड संस. इस दुकान की स्थापना 1885 में हुई थी. श्याम लाल साह जो मोती लाल साह के पुत्र थे, के तीन बेटे हुए – हीरा लाल साह,... Read more
पॉलीथिन बाबा का प्रभात
गाँधी जयंती पर देश को पॉलिथीन मुक्त करने का सन्देश लालकिले की प्राचीर से देते मोदी बाबा. हिमालय बचाओ पॉलिथीन हटाओ,ग्रेस मार्क्स की जगह ग्रीन मार्क्स की घोषणा करते मानव संसाधन मंत्री निशंक. अ... Read more
आज जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी का जन्मदिन है. उनके जन्म दिन पर अल्मोड़ा के नगरपालिका सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. स्व विजय जोशी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जन सहयोग से लोकगायक... Read more
ट्रैफिक चालान से कैसे बचें
चालान से बचने का सबसे पहला तरीका तो यही है कि गाड़ी घर से निकाली ही न जाए. गाड़ी घर से निकलेगी तो सड़कों पर चलेगी. सड़क पर चलेगी तो ड्राइवर को अपना बचपन याद आएगा. बचपन से ही लगभग सभी आम भारत... Read more
पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त के बचपन की तस्वीरें
बहुत कम लोग इस बात के जानते हैं कि पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त का जन्म 30 अगस्त 1887 में अनंत चतुर्दशी के दिन हुआ था. 1946 में जब पन्त जी दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो अनंत चतुर्... Read more
इन दिनों एक गढ़वाली गीत पूरे देश में वायरल हो रहा है. इस गढ़वाली गीत पर न जाने कितने वीडियो बन चुके हैं. गीत के शुरुआती बोल हैं ‘फ्वां बाग रे’. वायरल हुआ गीत कुमाऊं के गीतकार पप्पू... Read more
खुद में ही पूरा बैंड हैं उत्तराखण्ड के दीप रजवार
रामनगर में रहने वाले युवा दीप रजवार एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के तौर पर अच्छा नाम रखते हैं. कॉर्बेट पार्क से जुड़ी उनकी तस्वीरें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. फोटोग्राफर... Read more
जो तेरा गवर्नर, वो मेरा डिप्टी होता है यादों में लगभग 30 – 32 साल पीछे लौट जाऐं तो बहुत सी स्मृतियाँ लौट आती हैं और कभी फुर्सत हो जाय तो लिखने का मन भी करता है. बचपन में हमारे घर में ए... Read more
मेरा गांव मझेड़ा
लौह अयस्क से परिपूर्ण एक पहाड़ी और उसकी सीमा रेखा बनाती दो नदियाँ- खैरना और कोशी. एक उत्तरवाहिनी तो दूसरी पश्चिम की ओर आते-आते दक्षिण-पश्चिम को ओर चल देने वाली. उत्तर-पूर्व और दक्षिण में इन... Read more