गुप्तकाशी के देवर गांव का सहज जनजीवन
हम शंकित हैं कि इससे पहले सांझ सूरज को अपने पल्लू में ढांपकर सुला दे या फिर बारिश दोनों को ही गीलेपन का जाज़िम ओढ़ा दे. हमसे कैंप में कहा गया है कि हम देवर गांव होकर आ जायें. दरअसल बारिशें ब... Read more
अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण उत्तराखंड में कई ऐसे स्थान हैं जो रहस्यमयी कहलाने लगते हैं. आस्थावान इसे चमत्कार मानते हैं और अन्य वैज्ञानिक पहलू पर जोर देते हैं. चमत्कार और रहस्य से जुड़ी ऐसी ह... Read more
मसूरी शहर से महज 5-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जॉर्ज एवरेस्ट वर्तमान में पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय गंतव्य बना हुआ है. माउंट एवरेस्ट का नाम हम सबने सुना है. दुनिया की सबसे ऊँची इस पर्वत श... Read more
सफरनामा: लोहाघाट से नैनीताल तक
यात्रायें क्या हैं? किसी के लिए उदेश्यों की पूर्ति, किसी के लिए परिस्थितियों से भागना, किसी के लिए हवाख़ोरी, किसी के लिए नये परिवेश और वहां की ज़मीन और आब-ओ-हवा को समीप से महसूस करना. (Trave... Read more
सुबह की मीठी शुरुआत अल्मोड़ा के मालपुए के साथ
अगर आप अल्मोड़ा शहर में हल्द्वानी की ओर से सुबह-सुबह प्रवेश कर रहें हैं या फिर उस दिशा को जा रहें हैं, या डोलीडाना घूमने के बाद कुछ मीठा खाने का मन कर जाये तो हम सब के अज़ीज़ चंदन खोलिया की... Read more
गोल पहाड़ी की खांडेश्वरी देवी : मालदेवता, बनगांव
यात्रायें जीवन की तलाश हैं और इस तलाश का हासिल गतिमान होकर उस छोर को पकड़ना है जो चेतना के किसी स्थिर बिंदु पर आनंद व प्रकाश की अनुभूति प्रदान करता है. यात्राओं के दौरान चेतना सजग और जागृत ह... Read more
अपने आप में एक आकर्षण लिए हुए है पिंडारी ग्लेशियर
उत्तराखंड के मुख्य हिमालय क्षेत्र में बसा पिंडारी ग्लेशियर अपने आप में एक आकर्षण लिए हुए है जो कि पूरे विश्व को अपनी ओर खींचता है. खैर, हिमालय पर्वत, पर्वत की चोटियां, दूर-दूर तक फैले बुग्या... Read more
आखिर पवित्र नदियों के संगम की ऐसी दुर्गति क्यों?
मैं जौलजीबी के झूला पुल से गुजरते हुए नेपाल की सीमा से जुड़े हुए गांव की ओर बढ़ रही हूं, तो दो दोनों तरफ की सांझी संस्कृति को बेहद करीब से देख रही हूं. नदी के एक तरफ नेपाली गीत, नृत्य एवम् स... Read more
कण्वाश्रम : जहां राजा दुष्यंत ने विश्वामित्र व मेनका की कन्या शकुंतला को देखा
“हिमालय के दक्षिण में, समुद्र के उत्तर में भारत वर्ष है जहां भारत के वंशज रहते हैं.” संभवतः मैं उसी जगह पर खड़ी हूं जहां हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत तथा शकुंतला के गंधर्व विवाह के... Read more
कहो केदार क्या हाल हैं : एक यात्रा वृतांत
पहली बार केदारनाथ गया तो वहां के हाल देख पर्यावणविद सुंदरलाल बहुगुणाजी का कहा याद आया कि ग्लेशियर धीरे-धीरे मरुस्थल में बदल रहे हैं. नए उत्तराखण्ड को प्रकृति और पर्यावरण की कोई परवाह नहीं. न... Read more