(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120 बरस पहले के कुमाऊं-गढ़वाल के बारे में बहुत दिलचस्प विवरण पढ़ने को मिलते हैं. प्रस्तुत है इस किताब से... Read more
उत्तराखंड: योग की राजधानी
योग की भूमि उत्तराखंड, तपस्या से भरा राज्य जिसे सचमुच देवताओं की भूमि कहा जाता है, हिमालय की गोद में बसा है और न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि भारत में उन स्थानों मे... Read more
मुखबा गांव का आतिथ्य
पहाड़ों की सुबह मेरे लिए कभी भी बिछुड़ी हुई अंतिम सुबह नहीं रही,यह हर साल आबो-हवा बदलने के लिए पहाड़ जाने के एवज में वही चिर-परिचित सुबह ही है जिसको हमेशा मैं अपने ज़ेहन में करीने से रखती हू... Read more
गरतांग गली की रोमांचक यात्रा
पिता द्वारा सुनाये गये किस्से, कहानियां ताजीवन पिता से ही अपने होते हैं यह अपनापन मुझे गरतांग गली तक पहुंचते हुए साहसिक, रोमांचक पैदल यात्रा करते हुए महसूस हुआ. मेरी अचेतन स्मृतियों में गरत... Read more
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का इतिहास
1900 के दशक की शुरुआत में ई. आर. स्टीवंस और ई. ए. स्माइथिस के राष्ट्रीय उद्यान, भारत में स्थापित करने के सुझाव का नतीजा रहा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क एशिया के पहले राष्ट्रीय उद्यान के रूप म... Read more
बगोरी की राधा
उम्र का हर पड़ाव ज़िंदगी के ठहराव में स्मृतियों का अविस्मरणीय लोकगीत है. इसी गीत को गुनगुनाने हेतु हम तीनों सहेलियां वाया हेलीकॉप्टर देहरादून से हरसिल आधे घंटे में ही पहुंच गये हैं. यहां मेर... Read more
सितम्बर 2008 में शेखरदा (प्रोफेसर शेखर पाठक) ने प्रसिद्ध छायाकार एवं पर्वतारोही अनूप साह तथा संवेदनशील छायाकार प्रदीप पाण्डे के साथ उच्च हिमालय के एक दुर्गम मार्ग गंगोत्री-काल... Read more
उत्तराखंड, भारत का एक प्रमुख प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक धरोहर का स्थान है. इस प्रांत की अलकनंदा, मंदाकिनी, गंगा नदियां और नैनीताल और अल्मोड़ा जैसे गहरे वन्यजीवन संरक्षित क्षेत्र और प्राचीन... Read more
पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
रोज़ यदि हम एक ही जगह पर जाते भी हैं तो कई नये सुराख गुप्त रास्तों के रूप में मिल जाते हैं हमें उसी पुरानी जगह तक पहुंचने के लिए. मुक़ाम ज़रूरी है किसी भी सफ़र के लिए और यदि दरख़्त, नदी, आका... Read more
शक्तियों का केंद्र कालीमठ
पिछली कड़ी : पहाड़ों की अति कठिन जिंदगी में सहृदयता दिन ऐसे ही गुजरते रहे. हर दिन पिछले से ज्यादा व्यवस्थित होता चला गया और रात में हर रात नदी की आवाज के साथ कई ध्वनियां आती, सुनाई देती लगतीं... Read more