समाचारों के प्रस्तुतीकरण के वैचारिक चरित्र
पत्रकारिता की पाठ्यपुस्तकों में यह बताया जाता है कि हर समाचार में ‘कौन’, ‘क्या’, ‘कब’, ‘कहां’, ‘क्यों,’ और ‘कैसे’- का उत्तर होना आवश्यक है तभी ही समाचार पूर्ण हो पाता है. जब कभी किसी समाचार... Read more
कुमाऊं की रामलीला से कुछ झलकियां
कुमाऊं की रामलीला बहुत चर्चित रही है. देश को अनेक रंगकर्मी इस रामलीला ने दिए. बी एल शाह, बी एम शाह, मोहन उप्रेती जैसे कलाकारों ने रामलीला की तालीमों में अपनी आरंभिक दीक्षा ली थी. दिल्ली में... Read more
अभी क्या हाल है हमारी पृथ्वी का
आइए, जरा अपनी पृथ्वी पर नजर डालें. यह विशाल सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है. इसमें कहीं ऊंची पर्वतमालाएं हैं तो कहीं दूर-दूर तक फैले मैदान, कहीं गहरी घाटियां हैं तो कहीं विशाल... Read more
जग्गा डाकू का पहला सबक
मेदिनीधर के बड़े भाई थे, वंशीधर. वंशीधर भाई पढ़ने में बहुत होशियार थे. न जाने कब उन्हें उपन्यास पढ़ने की आदत पड़ी, जो धीरे-धीरे लत में बदलती चली गई. यहाँ तक कि वे फिजिक्स की क्लास में भी जेब... Read more
उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 2
इस ट्रैवलाग ने एलानिया कहानी बनने की तरफ पहला गोता मार दिया है. लेकिन मैं इसे पूरी ताकत लगाकर कहानी होने से बचाना चाहता हूं क्योंकि हमारे जीवन का यथार्थ कहानी से कहीं ज्यादा दिलफरेब है. कहान... Read more
हम उन्हें राम भाई कहते थे. “राम भाई,” मई 2011 में एक दिन मैंने उन्हें फोन किया था- “साबरी ब्रदर्स की कव्वाली करा रहे हैं, आप जरूर आएं.” “माई प्लेजर” उन्होंने कहा था. वे आए. उस कार्यक्रम में... Read more
कहां से आती हैं परियां?
अच्छा दोस्तो, पहले यह बताओ- क्या तुमने कभी कोई परी देखी? नहीं? लेकिन, मैंने देखी है! चौंक गए ना? जब मैं भी तुम्हारी तरह बच्चा था तो मैंने परी देखी थी. उससे खूब बातें की थीं. और हां, मैं उसके... Read more
उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 1
मुझे आजकल लगता है कि मैं कोई जमाने से यहीं खड़ा, हवा चले न चले सिर पटकता पेड़ हूं. या कोई धूल से अटी पिचके टायर वाली जीप हूं जिसके स्टीयरिंग का पाइप काटकर मेरे गांव छोकरे लोहार से कट्टा बनवा... Read more
काफल पाक्यो, मील नी चाख्यो
इन दिनों जब घाम थोड़ा सा गुनगुना हो जाता है. बर्फ पहाड़ों से उतर कर गधेरों में भर जाती है. पहाड़ों की ठंडी नम जमीनें नन्हे-नन्हे कोंपलों से हरिया जाती है. चमकीली हरी मुलायम पत्तियों के बीच में... Read more
बारह बरस बाद कुरिंजी की बहार
दक्षिण भारत में बारह वर्ष बाद फिर बहार के दिन आ गए हैं. पश्चिमी घाट की ऊंची पहाड़ियों पर प्रकृति अपनी कूंची से नीला रंग भरने लगी है. रंगो-बू की यह बेशकीमती बहार वहां खिल रहे नीला कुरिंजी के फ... Read more