खुद को जवाब दो लड़कियो और मिलकर नई राह ढूंढो
मैं तय करती हूं कि तुम मेरे सार्त्र बनने के लायक नहीं – मनीषा पाण्डेय वैसे इस सत्य से किसको इनकार है कि बहुसंख्यक हिंदुस्तानी मर्द निहायत सामंती, घटिया और मर्दवादी हैं. – ... Read more
सिटौला और घुघुता
वैसे तो ऊपर के चित्र में दिख रही चिड़ियां कुमाऊँ में बहुतायत से पाई जाती हैं और इनके कॉटेज मैना और स्पॉटेड डव जैसे आकर्षक अंग्रेज़ी नाम भी हैं लेकिन कुमाऊनी बोली में इन दोनों को ख़ास तरीकों से... Read more
माफ़ करना हे पिता – 1
सभी के होते हैं, मेरे भी एक (ही) पिता थे. शिक्षक दिवस सन् २००१ तक मौजूद रहे. उन्होंने ७१-७२ वर्ष की उम्र तक पिता का रोल किसी घटिया अभिनेता की तरह निभाया मगर पूरे आत्म विश्वास के साथ. लेकिन म... Read more
रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 1
रूपकुंड की रहस्यमयी झील के बारे में मैं बहुत किस्से सुने चुकी हूँ. खासकर की झील के चारों ओर बिखरे हुए नरकंकालों के बारे में पर अब मैं इन रहस्यों और किस्से कहानियों को अपनी नजरों से देखना चाह... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 1
[वरिष्ठ लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी के संस्मरण और यात्रा वृत्तान्त आप काफल ट्री पर लगातार पढ़ते रहे हैं. पहाड़ पर बिताए अपने बचपन को उन्होंने अपनी चर्चित किताब ‘मेरी यादों का पहाड़’ में ब... Read more
बज्जर किस्म के शिकायती भाई साहब !
भाई साहब से मेरी जान-पहचान इनके बचपन से है. जैसे किसी व्यक्ति के भीतर प्रेम, करुणा तथा दया अथवा झूठ, कपट तथा कमीनापन कूट-कूट कर भरा होता है, इनके अंदर बचपन से ही शिकायतें कूट-कूट कर भरी थी.... Read more
साझा कलम : 10 आशीष ठाकुर
[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से... Read more
डिब्बाबंद मुल्क और बड़ी होती लड़की
करीब ढाई साल गुजरे उस बात को, जब मेरी एक कजिन, जो हमारे ठेठ सामंती, ब्राम्होण परिवार में साफ दिल वाली एक लड़की थी, ने एक बेटी को जन्मत दिया. मैं मुंबई गई थी, तब बिल्कुकल अकेली थी. ननिहाल, ती... Read more
एक पासपोर्ट साइज़
स्मृति के कोई दर्ज़न भर स्थिर-चित्रों से बना था उसका शहर. उसका शहर पतली सड़कों और बक्सेनुमा मकानों का संकुल न होकर कुछ चित्रों की लड़ी था. इस लड़ी को दोनों सिरों से कहीं बांध दो तो रंग बिरंगी झा... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 7
दुनिया की सब माँ ये एक सरीखी होती हैं आज इतवार के चलते अपन अलसाए से लेते रहे. कई बार उठने की सोचे पर मामला टालते रहे जैसे सरकारे जरूरी बिल भर कोशिश टरकाती है. आखिर में रजाई, गठबन्धन-सरकार से... Read more