जैसे कोई कीमती चीज सदा के लिए मिट्टी में मिल गई हो
इक नग़मा है पहलू में बजता हुआ – शंभू राणा करीब पांचेक साल बीत गए सतीश को गुजरे हुए. वह मेरा बालसखा था और इस शहर में बनने वाला पहला दोस्त भी. करीब पैंतीस-छत्तीस साल पहले जब हम पहली बार म... Read more
ओह कसारदेवी : एक फोटो निबंध
सभी फोटो जयमित्र सिंह बिष्ट के हैं. काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें Read more
आदमी उस तहखाने के नाम से डरता था
भय के कोने भय से निजी कुछ नहीं. कुछ पल हर आदमी के जीवन में लौट लौट कर आते हैं जिनमें वो निष्कवच होता है, नितांत अकेला होता है. और सबसे ज़्यादा निर्बल भी. वो इन पलों में बुरी तरह डरा हुआ होता... Read more
पिथौरागढ़ नैनीसैनी गाँव की एक आमा है जो एक ज़माने में गांव के लड़कों की काखि ( चाची ) हुआ करती थी. नैनीसैनी की उपजाऊ जमीन को हवाई पट्टी में बदलने के लिए जब पहली बार सरकार बहादुर गांव में आयी का... Read more
(पिछली कड़ी से आगे) अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी आलोक धन्वा क्या थ्रिल के कवि हैं. क्या उनकी कविताएं कंपन और थर्राहट से भरी हुई हैं. वो कोयल बुलबुल ब... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 9
उजाले के कमांडो आज सुबह जरा जल्दी जग गये. जल्दी मतलब पांच बजे. इत्ता जल्दी जगने पर समझ नहीं आया तो फ़िर पलटकर सोने की कोशिश की. लेकिन जैसे चुनाव में एक के चुनाव क्षेत्र की टिकट दूसरे को मिल ज... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 3
पिछली कड़ी वह पहली उड़ान मैंने आत्म निर्भर बनने के लिए अपनी पहली उड़ान भरी. रहने की जगह खोजने के लिए अपने सहपाठियों के साथ बात करनी शुरू कर दी ताकि जाड़ों की छुट्टियों के बाद डेरा बदल सकूं. हरीश... Read more
माफ़ करना हे पिता – अंतिम
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 6) लॉटरी उनसे तब तक नहीं छूटी जब तक सरकार ने इसे बंद न कर दिया. इस धंधे में असफल रहने का कारण उनकी नजर में मैं था. बकौल उनके- गुरू हम तो क्या का क्या क... Read more
रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – अंतिम
(पिछली क़िस्त का लिंक – रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 6) लौटते हुए ज्यादा परेशानी नहीं हुई पर अब बर्फ पिघलने लगी है इसलिये रास्ते में फिसलन हो गयी है जिससे चलने में परे... Read more
फ़िल्म आस्वाद किसे मानें
बीती 22 जून से 25 जून इंदौर की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था ‘सूत्रधार’ ने इंदौर के होटल अपना व्यू के सबरंग सभागार में फ़िल्म आस्वाद की कार्यशाला आयोजित की जिसमें आस-पास के इलाके और इंदौर से क... Read more