कहानियाँ कहाँ से आती हैं
अफ्रीकी लोक-कथाएँ: 3 (एक पारम्परिक ज़ुलू लोककथा) बहुत, बहुत साल पहले की बात है. यह इतनी पुरानी बात है जब शायद पहले आदमी और पहली औरत को धरती पर आए बहुत समय नहीं हुआ था. इसी धरती पर कहीं मान्ज... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 3
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
नैनी – सैनी से आधुनिकतम सुविधाओं से लेस कंडेक्टर के साथ उड़ेगा नौ सीट वाला बड़ा विमान
एक समय था जब पिथौरागढ़ के लड़के जमीन से हैलीकाप्टर को इस उम्मीद से हाथ हिलाया करते थे कि एक दिन उनके यहां भी एक एयरपोर्ट तैयार होगा. अब ये लड़के इतने बड़े हो चुके हैं कि जमीन में खड़े हैलीकाप्टर... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 5
पिछली कड़ी साहित्य की प्रयोगशाला नैनीताल मेरे लिए साहित्य की प्रयोगशाला भी रहा जहां मैंने साहित्य की बारहखड़ी लिखी और पढ़ी. गांव से दूर सपनों के शहर में पढ़ने के लिए जरूर चला आया था लेकिन पढ़ते-ल... Read more
दो त्वचाओं वाली औरत
अफ्रीकी लोक-कथाएँ : 2 कालाबार का राजा एयाम्बा बहुत ताकतवर था. उसने अपने पड़ोस के सभी देशों को हराकर उन पर कब्ज़ा कर लिया था. उसने वहां के सभी बूढ़े औरत-आदमियों को मरवा दिया और सारे हट्टे कट्... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 2
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
आज से तकरीबन 20 साल पहले 1998 से अल्मोड़ा में शरदोत्सव होता आया है और अल्मोड़ा शहर के तमाम कलाकार जी जान से इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए जुटे रहे हैं. इसी आयोजन में फोटो प्रदर्शनी को सफल ब... Read more
खिड़की में खड़ी सपनों की रानी
दुनिया या प्रेम में खुलती खिड़की -संजय व्यास डाकिया आज भी उसे कायदे से नहीं जान पाया था भले ही इस महल्ले में वो पिछले कई सालों से रह रहा था. ये बात अलग थी कि आज डाकिया ख़ुद अपनी पहचान के संक... Read more
गिलहरी का घोंसला -चन्द्रभूषण घर के सामने एक शहतूत और एक बकाइन का पेड़ है. दोनों मेरे ही लगाए हुए हैं. शकरपुर में लंबे समय तक रहते चिड़ियों की आवाजें भूल गया था. वैशाली, गाजियाबाद में अपना फ्... Read more
क्या आपको भी अपने गाँव का घर बुलाता है?
मेरे घर रह जाना -शिवप्रसाद जोशी “मेरी सबसे सतत और सजीव स्मृतियां लोगों के बारे में उतनी नहीं हैं जितनी कि अराकाटका के उस घर के बारे में हैं जहां मैं अपने नानी नाना के साथ रहता था. ये ऐसा बार... Read more