कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 13
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
पीहू की कहानियाँ – 1
काफल ट्री पर आप पिछले कई दिनों से विनोद कापड़ी की आत्मकथा बेरीनाग टू बंबई वाया बरेली पढ़ रहे हैं. 16 नवम्बर को विनोद कापड़ी की फिल्म पीहू रिलीज होने जा रही है. विनोद अपनी फिल्म पीहू से जुड़ी कुछ... Read more
74 वें संविधान संशोधन की जमीनी चुनौती
आजकल उत्तराखंड की 84 नगर निकाय में चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने पर, प्रचार जोरों में है. सुबह शाम मोहल्लों में प्रत्याशियों की आमद बढ़ रही है, नुक्कड़ की दुकानें फिर राजनीतिक गपशप से गुलजार... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 8
पिछली कड़ी उस दिल्ली में वे दिन मन में कृषि वैज्ञानिक और एक साहित्यकार बनने का सपना बुनते-बुनते पहाड़ से दिन भर की लंबी यात्रा के बाद तपती दिल्ली पहुंचा. साथी कैलाश पंत यानी के. सी. साथ था. दो... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 12
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
किशोर उत्तराखंड की जकड़
उत्तराखंड अगर मानव शरीर होता तो आज किशोर होता और स्कूल छोड़कर कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा होता. कल्पना कीजिये कि 9 नवम्बर, 2018 के दिन वो कैसा दिखाई दे रहा होता? हमारे गाँवों का रूपाकार आज कु... Read more
(शमशेर सिंह बिष्ट: 4 फरवरी 1947 से 22 सितम्बर 2018) शमशेर सिंह बिष्ट उत्तराखण्ड के ख्यातिलब्ध आन्दोलनकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, पत्रकार और बुद्धिजीवी हैं. अभावग्रस्त बचपन को अपनी ताकत ब... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 11
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
धारचूला के सीमांत गांव छिपलाकोट की छिपला जात
सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील में काली एवं गोरी घाटी के मध्य उच्च हिमालय में स्थित छिपला कोट, अपने में विशेष धार्मिक महत्व रखता है. समुद्र तल से लगभग 4200 मीटर की ऊचाई एवं बरम कस्ब... Read more
सिनेमा: पहले दिन के पहले शो का देशी रोमांच
आज से तीस साल पहले तक जब डिजिटल तकनीक का कोई अता-पता नहीं था हर शुक्रवार को फ़िल्म रिलीज़ होना एक बड़ी सांस्कृतिक कार्रवाई जैसा था. कई बार फ़िल्म के प्रचार के लिए साइकिल रिक्शे पर बड़े होर्डिंग ल... Read more