धनतेरस के टोटके
शुक्रगुजार हैं व्हटसएप के, जिसे भारतीय लोकभाषा में भट्टसैप बना दिया है. शुक्रगुजार इसलिये कि व्हटसएप ने एकबार में केवल पांच लोगों को मैसेज फारवर्ड करने वाला फीचर ला दिया है. बिना हमारी जानका... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 15
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
घर वाली दीपावली और निबंध वाली दीपावली
हमारी शिक्षा की गोभी सबसे पहले हमारी स्कूली शिक्षा से खुदती है. स्कूल में पढाई 80 प्रतिशत व्याहारिक बातें गलत होती हैं. हमें कक्षा तीन से दीपावली पर निबंध पर इंक पैन घिसना सिखाया गया अंग्रेज... Read more
पीहू की कहानियाँ – 2
जब लगा कि अब पीहू नहीं बन सकती … कहानी और पीहू दोनों मिल चुकी थी. प्रोड्यूसर मिलना बाक़ी था. एक और बेहद मुश्किल काम. मुंबई में अलग अलग स्टूडियोज़ और प्रोड्यूसर से मिलना – बात करन... Read more
लौंडे-लबारों की बरात में सयाने बूढ़े की होशियारी
छी भै ये बूढ़े लोग भी न, बहुत तंग कर देते हैं. जब कुछ काम नहीं कर सकते तो आराम से खाएं, पियें एक जगह में बैठे रहें. जब देखो सारे घर में घूम घूम के ये करो, वो करो, ऐसे करो, वैसे करो. इस काम को... Read more
विषय से ज्यादा कठिन शिक्षक
गणित से लड़के दूर- दूर भागते थे. इस पर अफसोस इस बात का था कि, भविष्य के बेहतर मौके, केवल इसी विषय में मौजूद बताए जाते थे. ‘अगर गणित के साथ अच्छे दर्जे में पास हो जाएँ’ तो, अनेक क... Read more
अनुवाद पढ़कर बनता है गंभीर और स्थायी पाठक भारत जैसे महादेश में जितनी भाषाएं बोली जाती हैं, उन्हें देखते हुए कोई भी अनुमान लगा सकता है कि यहाँ के लोग कितनी तो भाषाएँ जानते होंगे. मगर वास्तविकत... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 14
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 5
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव हीरामन उवाच ‘गुडी गुडी मुहल्ले की निवर्तमान सामाजिकी चार आप्त वाक्यों से मिलकर बनी थी,’ कहता हीरामन, ‘इन्हें ही लोकतंत्र के चार मजबूत स्तम्भ भी कहा जा सकत... Read more
एक दिलकश हिमालयी ताल: देवरियाताल
रूद्रप्रयाग से 49 किमी की दूरी पर स्थित देवरिया ताल एक दिलकश हिमालयी है. हरे भरे जंगलों से घिरी इस अद्भुत झील के आईने में गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की चोटियों के साथ... Read more