उत्तराखण्ड में छठ की छुट्टी
उत्तराखण्ड सरकार ने इस साल भी छठ की पूजा के लिए आज 13 नवम्बर को पूरे राज्य में सार्वजनिक छुट्टी घोषित कर दी है. जिस पर कुछ तीखी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया में हो रही हैं. ये प्रतिक्रियाएं भी... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 11
साहित्य की दुनिया पूसा इंस्टिट्यूट के भीतर अनुसंधान की दुनिया थी. उसके बाहर एक और दुनिया थी जिसमें मुझे जल्द से जल्द जाना था. वह थी, साहित्य और साहित्यकारों की दुनिया. उस दुनिया के कई स्वप्न... Read more
पिथौरागढ़ का हनुमान मंदिर
वर्तमान में पिथौरागढ़ नगर के लगभग बीचों बीच एक हनुमान का मंदिर है. 1970 में जब इस मंदिर का निर्माण हुआ उस समय यह मुख्य नगर से बिलकुल हटकर एक कोने की ओर था. कुमौड़ गांव से लगे इस मंदिर के निर्म... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 23
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
वह एक आधा कच्चा बचा गाँव था
साधो हम बासी उस देस के – 1 -ब्रजभूषण पाण्डेय हजरात हजरात हजरात! ये एक गांव की कहानी है. गंगा के निर्मल और सोन के विस्तृत पाटों वाले प्रवाह के मध्य जो जीवनदायिनी छोटी नदियाँ बहतीं... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 7 दिल्ली की डीटीसी बसों में मैंने एक समय के बाद टिकट लेना बंद ही कर दिया. मां जब मुझे बस के किराए के लिए तीस पैसे देती, तो मैं मन ही मन सोचने लगता कि तीस पैसे का आज क्या... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 22
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
पीहू की कहानियाँ – 5
मैडम अभी सो रही हैं मैडम को पॉटी आ गई है मैडम सुसु करने गई है मैडम का अभी मूड नहीं है मैडम को अभी डॉल से खेलना है मैडम ग़ुस्सा है मैडम रो रही है 33 दिन के शूट के दौरान योगेश जानी को इंतज़ार... Read more
चटोरे जवाईं की लोककथा
मुझे अक्सर अपने दादा, दादी, चाचियाँ, माँ बहुत याद आते हैं. आप कहेंगे इसमें नई बात क्या है. अपनी जिंदगी में हम जिन लोगों को खो देते है वो तो सभी को बहुत याद आते हैं. मेरी बात नई है या नहीं ये... Read more
मुठ्ठी भर कंचे
तब गाँव क्या था, श्याम-श्वेत सिनेमा के दौर का सा गाँव लगता था. चौतरफा खेत-ही-खेत थे, गन्ने-सरसों की फसलों से लहलहाते हुए. गाँव में कुएँ थे, तो रहट भी. यातायात के साधनों में, बैलगाड़ी से लेकर... Read more