देओ टिब्बा का ट्रेक
हिमांचल प्रदेश में स्थित देओ टिब्बा चोटी की समुद्रतल से ऊँचाई 6001 मीटर है. इस चोटी में समिट करना काफी तकनीकी है. इस ट्रेक की शुरूआत मनाली से होती है. मैं सुबह ही मनाली से ट्रेक के लिये निकल... Read more
बचपन के बहाने
हमारे कनिष्ठ पुत्र चिरंजीव नचिकेता, ढाई बरस के हैं. वे रोज रात को सोने से पहले जिद करते हैं. उनकी बालहठ रहती है, यूट्यूब पर फिल्मी गाने देखने की. घर पर टेलीविजन अथवा एलसीडी स्क्रीन जैसे साधन... Read more
इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : चौदहवीं क़िस्त शैलेश मटियानी, मनोहरश्याम जोशी, शिवानी, राधकृष्ण कुकरेती, गोपाल उपाध्याय, स्वरूप ढौंडियाल और विद्यासागर नौटियाल के बाद उत्तराखंड से एक... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 49
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
अमित साह के कैमरे से नैनीताल
ठंड के मौसम में नैनीताल और भी सुहावना हो जाता है. युवा फोटोग्राफर अमित साह ने नैनीताल की सुबह और शाम की कुछ हालिया तस्वीरें भेजी हैं. नैनीताल के रहने वाले अमित साह की खिचीं तस्वीरों की दो क़ि... Read more
उन दिनों सैकड़ों लोग बटाईदारी से पालते थे परिवार
आज से लगभग चार दशक पहले नैनीताल जिले के भाबर में जमीन बेचने और खरीदने का कार्य मार्च से लेकर जून तक ही चलता था. साल के अन्य दूसरे महीनों में जमीन खरीदने-बेचने का काम नहीं के बराबर होता था. इ... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 10
गुडी गुडी डेज़ अमित श्रीवास्तव तंत्री-नाद कबित्त-रस सरस राग रति-रंग. अनबूड़े बूड़े तरे जे बूड़े सब अंग!! सरिता देवी. सुंदरी. सरिता सुंदरी. सस्सु. अपनी सस्सु. बला की खूबसूरत. हालांकि किसी ने आ... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 48
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
राख से शुरू हुई थी एशेज सीरीज
क्रिकेट को विश्व भर में मशहूर करने का श्रेय इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया को जाता है. इंग्लैंड ख़ुद को क्रिकेट का जनक मानता है और जाहिर है उसे इस बात पर गुमान भी है. आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच... Read more
फोर्ब्स सूची में आने के लिए सियार सिंगी की तलाश
गाँव-देहात में तब बैंक नहीं खुले थे. साहूकार सूद पर रुपए चलाते थे. सूद की एक तय सीमा रहती थी. क्रेडिट कार्ड का तब तक चलन शुरू नहीं हुआ था. अब सवाल उठता है कि, जब साहूकारी का नाम सुनकर ही झुर... Read more