हम फिर से उसी थकान से भर जाते हैं
किसी को जानो तो बस इतना ही जानना कि कोई और भी दिखे तो उसके होने का भ्रम होता रहे उस गांव में दूर तक खेत फैले थे. उनके बीच कुछ रास्ते थे. कुछ सड़कें थीं. कुछ ऊंची इमारतें थीं. मौसम बिछड़ जाने क... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 11
गुडी गुडी डेज़ (हीरामन– हीराबाई संवाद; नाम में क्या रक्खा है) अमित श्रीवास्तव हीराबाई- हीराबाई हीरामन- हीरामन हीराबाई- आह! हीरा! हम तुमको मीता कहेंगे फिर… हमारा नाम एक ही है न इसलिए हीर... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 55
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
सर्दियों का बिनसर
सर्दियों की ऋतु हो और आप बिनसर में हों तो क्या कहने! बिनसर की शामों की सोने सी रोशनी, रात के आसमान में आकाशगंगा में तारों की बारात और सुबह का प्रफुल्लित कर देने वाला विशाल हिमालयी दृश्य, जंग... Read more
मेहमान बनने का शौक
उसे जान-पहचान में मेहमान बनने का बहुत शौक था. वह इतना भी जरूरी नहीं समझता था कि जान-पहचान बहुत गहरी हो, बस कामभर की ही सही. गाँव में इक्का-दुक्का बार आमने-सामने पड़े हों, देखा-देखी हुई हो, इत... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 20
निर्माण के दिन वर्ष भर बाद 1970 में ‘किसान भारती’ मासिक के संपादक रमेश दत्त शर्मा के विश्वविद्यालय छोड़ देने के बाद मैं और मेरा एक साथी उसका संपादन करने लगे. कुछ समय बाद ‘किसान भारती’ के संपा... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 54
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
प्रमोद कौंसवाल की कविता
वो अपनी ही कविता के एक लुटेपिटे हैरान से थकान से चूर खून और गर्द से भरे चेहरे वाले आदमी सरीखे हैं -शिवप्रसाद जोशी हिंदी के युवा कवि प्रमोद कौंसवाल का पहला कविता संग्रह 90 के दशक में आया था.... Read more
रात गहराने पर वह बास्केटबॉल लेकर सो जाता था
कुछ खिलाड़ी सचमुच अद्वितीय होते हैं, वे अपनी व्यक्तिगत शैली का इतना प्रभाव छोड़ते हैं कि खेल उनके आने के बाद पहले जैसा नहीं रह जाता. इधर के दशकों में हम क्रिकेट में सनत जयसूर्या का ज़िक्र कर सक... Read more
एक कहानी ये भी – मीनाकुमारी और धर्मेन्द्र
बहुत से लोग आज इस बात को यक़ीन से कहते हैं कि धर्मेन्द्र ने अपना करियर बनाने के लिए मीनाकुमारी का इस्तेमाल लिया. उस समय मीनाकुमारी अपनी लोकप्रियता के शिखर पर थीं. शायद असल कहानी तो कभी बाहर... Read more