वो शिखर पर जो गाँव है, वही काफलीधार है. किसने रखा होगा यह नाम? सोचती है लछिमा – कैसा है यह नाम? ‘काफल वाली धार!’ लेकिन सिर्फ काफल तो होता नहीं वहां. काफल के अलावा बुरुंश ह... Read more
अंगूर, बांग्ला फिल्म भ्रांतिविलास की रीमेक थी, जो ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाटक पर आधारित थी. यह नाटक विलियम शेक्सपियर के ‘द कॉमेडी ऑफ एरर्स’ पर आधारित था. फिल्म की थीम व कई दृश्य हू-ब-हू क... Read more
नंदा देवी राज जात के अनूठे फोटो
उत्तराखंड में प्रत्येक बारह वर्ष में होने वाली ऐतिहासिक नंदा देवी राज जात भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी यानी नन्दाष्टमी को की जाने वाली एक देवयात्रा है जिसे कुमाऊँ में अल्मोड़ा और गढ़व... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 116
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
ज्यादा फर्क नहीं है वरिष्ठ और गरिष्ठ अधिकारी मे
वरिष्ठ अधिकारी अंतर देस इ (… शेष कुशल है!) वरिष्ठ और गरिष्ठ मे ज्यादा फर्क नहीं है… खासकर जब वो अधिकारी के संदर्भ मे प्रयोग किया जाए. गरिष्ठ भोजन हाज़मा खराब करता है. कच्ची डकारें... Read more
आख़िर किस मिट्टी के बने होते हैं कमान्डो
2008 के मुम्बई हमले के बाद हमारे साथी और वरिष्ठ पत्रकार-सम्पादक सुंदर चंद ठाकुर ने अपने एक कमांडो मित्र पर यह लेख लिखा था. यह बताना अप्रांसगिक नहीं होगा कि सुंदर चंद ठाकुर स्वयं एक फौजी रह च... Read more
आख़िरी साँसें गिन रहा है पहाड़ का काष्ठशिल्प
बढ़ती आधुनिकता के साथ लकड़ी से बने परम्परागत उत्पाद हमारे जीवन से दूर होते-होते अब लगभग लगभग समाप्त हो चुके हैं और उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में काष्ठशिल्प (Woodart) पूरी तरह बरबाद हो चुका है य... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 115
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
अंग्रेजों के ज़माने का पटवारी हुआ गुमानसिंह
जीवन भर हल्द्वानी (Haldwani) में रहे स्व. आनन्द बल्लभ उप्रेती (Anand Ballabh Upreti) राज्य के वरिष्ठतम पत्रकार-लेखकों में थे. हल्द्वानी से निकलने वाले साप्ताहिक ‘पिघलता हिमालय’ अ... Read more
तुम से न हो पाएगा देश के प्यारो!
कल पुलवामा (Pulwama) में हुए कायराना हमले के परिदृश्य में हमारे साथी अमित श्रीवास्तव ने यह झकझोर देने वाली टिप्पणी अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर की है. ऐसे समय में जब सारा मीडिया देश, देशभक्ति, रा... Read more