कुमाऊं में पारम्परिक विवाह प्रथा
पुरातन काल से ही भारतीय हिन्दू समाज में विवाह को जीवन का एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है. विवाह स्त्री – पुरुष का मिलन मात्र नहीं अपितु एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जहां से मानव वंश को आगे ब... Read more
हे सहकर्मी! हे कुलीग! तुम आखिर ऐसे क्यों हो? किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ से, ऑफिस में विकिरण फैलाते. अपनी चाल, आँखों और बातों से बेधने वाली अल्फा, बीटा, गामा किरणें फेकते. (Satire by Priy Abhis... Read more
अब सरकार किसानों से सीधे खरीदेगी मडुवा और भट-गहत
यदि राजनैतिक इच्छाशक्ति हो और नीयत साफ़ तो सरकार और नौकरशाही का गठबंधन बेहतरीन काम करने में भी सक्षम है. इसकी एक मिसाल हाल ही में पौड़ी में हुई राज्य सरकार की कैबिनेट मीटिंग में लिया गया एक मह... Read more
किसी व्यक्ति को बात-बात पर हथियार निकाल लेने और बंडी उतार कर अपनी मांसपेशियों के प्रदर्शन करने का कुटैव हो और इत्तफाकन वह राजनेता भी हो तो उस से क्या-क्या करने उम्मीद की जा सकती है यह सोचना... Read more
इंसानी चेहरा नहीं आपकी सरकारों के पास – हुक्मरानों के नाम विनोद कापड़ी का खुला ख़त
पिछले महीने की 12 तारीख को राजस्थान के नागौर ज़िले में कूड़े के ढेर में एक नवजात बच्ची के मिलने का समाचार छपा था. जीवन-मृत्यु से संघर्ष कर रही इस बच्ची की हालत से द्रवित होकर विनोद कापड़ी और... Read more
विकास के पथ पर अग्रगामी हमारे उत्तराखंड राज्य से एक से एक अकल्पनीय कहानियां सुनाने को मिलती हैं. इस बार यह कारनामा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हुआ है. ‘अमर उजाला’ अखबार के हवाले से... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – तेरहवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: इंसान के बच्चे को मारकर खाने से कम क्रूर है पशु को मारकर खाना? पिछले कई दिनों से मैं परेशान और उलझन में थी, मुझे पीरियड्स... Read more
थोथा देई उड़ाय-1 कल एक मित्र ने मुझे अमित्र कर दिया. ये कुट्टी हो जाने का बालिग संस्करण है. (Facebook Dramas and Anti Dramas) सोशल मीडिया ने, मीडिया का तो जो किया हो, समाज का बड़ा उपकार किया... Read more
छांगरू ग्राम वालों का सौ परिवार
छांगरू ग्राम शौका प्रदेश का नेपाल में स्थित ग्राम है जो महाकाली अंचल दार्चुला जिले के ब्यांस पंचायत में स्थित है. 1815 की नेपाल व ब्रिटिश भारत की सन्धि के अनुसार छांगरू तथा तिंकर ग्राम नेपाल... Read more
प्रकृति के करीब है पहाड़ का लोक पर्व – हरेला
“तुम जीते रहो और जागरूक बने रहो, हरेले का यह दिन-बार आता-जाता रहे, वंश-परिवार दूब की तरह पनपता रहे, धरती जैसा विस्तार मिले आकाश की तरह उच्चता प्राप्त हो, सिंह जैसी ताकत और सियार जैसी बुद्धि... Read more