हिन्दी में लिख रहे नौजवान लेखक ‘गहन है यह अन्धकारा’ से खूब सारे सबक सीख सकते हैं
पुलिस को खबर मिलती है कि एक जली हुई सिर कटी लाश मिली है. पुलिस तफ्तीश करती है और कई तरह की पूछताछों, शिनाख्तों और अनुसन्धानों के बाद अपराधी का पता लगा लेती है. (Gahan Hai Yah Andhkara Review... Read more
अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया ब्लॉक के तल्ला गेवाड़ में एक छोटी सी बसासत है मासी. रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर अवस्थित इस सुदूर स्थान पर कल यानी 20 अक्टूबर 2019 को एक प्रेरक घटनाक्रम घटा. Mas... Read more
गरमपानी की बाज़ार और उसका ब्रांडेड रायता
राई को लाल खुस्याणी, पहाड़ी हल्द-धनिये के बीजों के साथ सिलबट्टे में खूब पीस लेते हैं. फिर कोर कर निचोड़ी हुई ककड़ी में मिला ठेकी में जमा हुआ दही मिला खूब फैंट कर बनता है गरमपानी का ब्रांडेड... Read more
हल्द्वानी में पहले हल्दू के पेड़ बहुतायत में हुआ करते थे इसलिए उसे हल्द्वानी कहा जाने लगा. वर्तमान हल्द्वानी के निकट मोटाहल्दू और हल्दूचौड़ गांव हैं. पूर्व में मोटाहल्दू के निकट वाले क्षेत्र क... Read more
दूर उत्तराखंड के पहाड़ों से रैबार देने वाले पत्रकार साथी संजय चौहान और शैलेंद्र गोदियाल का कहना है कि उत्तरकाशी और टिहरी जिले के जंगलों में इन दिनों नील कुरेंजी के फूलों की बहार आ गई है. खास... Read more
ऐसे बना था नीमकरौली महाराज का कैंची धाम मंदिर
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के सन्त बाबा नीम करौली अथवा नीब करौरी के चमत्कारों के संबंध में प्रचुर साहित्य उपलब्ध है न कि हिन्दी में, अपितु सात समन्दर पार उनके भक्तों ने दूसरी भाषाओं में बहुत कुछ... Read more
मेरे दादा के समय तक के किस्से मैंने बचपन में खूब सुने. जितने भी किस्से सुने उनमें एक किस्सा होता कि पहले लोग नमक लाने के लिए यहाँ से टनकपुर तक की पैदल यात्राएँ करते थे. मामूली जरूरतों तक सीम... Read more
मिस उत्तराखंड के ख़िताब के बाद दर्जनों फ़िल्में करने वाली लावण्या त्रिपाठी
साल 2006 में मिस उत्तराखंड का खिताब देहरादून की लावण्या त्रिपाठी ने जीता था. दक्षिण भारत के मशहूर फिल्म निर्माता राजामौली की फिल्म में लावण्या की पहली बार 2012 में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका... Read more
कुमाऊनी में सभी दीर्घ स्वरों के हृस्व रूप भी मिलते हैं. कहीं-कहीं यह हृस्वात्म्कता अर्थ्भेदक भी है. जैसे – (Main Characteristics of Kumaoni Language) आ'म = दादी,नानी आम = फल विशेषखे'ल... Read more
उन दिनों मेरे पिता टिहरी -गढ़वाल रियासत की राजधानी नरेन्द्रनगर के पास फकोट नामक स्थान पर तैनात थे. वहां एक राजकीय उद्यान था, पिता उसके अधीक्षक थे. उस उद्यान में सिर्फ सब्जियां उगाई जाती थीं.... Read more