यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक संपदा सूची में शामिल कुमाऊनी रामलीला का इतिहास
कुमाऊं अंचल में रामलीला के मंचन की परंपरा का इतिहास लगभग 160 वर्षों से भी अधिक पुराना है. यहाँ की रामलीला मुख्यतः रामचरित मानस पर आधारित है जिसे गीत एवं नाट्य शैली में प्रस्तुत किया जाता है.... Read more
पर्वतों की रानी मसूरी का इतिहास
मसूरी पहला हिल स्टेशन था, जहां स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था की गई. वेल्स बंदोबस्त के बाद सन् 1842 के नियम 10 के तहत इस क्षेत्र के नियमन के लिए एक स्थानीय समिति का गठन किया गया. अंग्रेजों के आ... Read more
पंचेश्वर बांध पर जौलजीबी से पंचेश्वर तक डूब क्षेत्र के गांव वासी क्या सोचते हैं
पंचेश्वर बांध प्रभावित क्षेत्र की परिस्थितियों को समझने के लिये हमने अक्टूबर 2018 में 13 से 19 के बीच क्षेत्र की यात्रा की. इस यात्रा में मेरे अलावा चार अन्य महिलायें उमा भट्ट, माया चिलवाल,... Read more
दोपहर का समय होगा जब अचानक ही मेरा प्लान कपिलेश्वर महादेव के मंदिर जाने का बन गया और मैं निकल गयी कपिलेश्वर महादेव मंदिर के लिये. अल्मोड़ा जिले के इस मंदिर को पर्यटन के नजरिये से बहुत ज्यादा... Read more
दारमा घाटी में दुग्तालों का गांव दुग्तू
दुग्तू पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी का एक छोटा सा गांव है. पंचाचूली की गोद में बसा इस बेहद खूबसूरत गाँव में रं समाज के लोगों को निवास है जो कि दारमा घाटी का जनजाती समाज है. इनकी अपनी परंपराये... Read more
पंचाचूली पर्वत भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरी कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है. पंचाचूली पर्वत पांच पर्वत चोटियों का समूह है. जिनके नाम पंचाचूली 1 से पंचाचूली 5 तक हैं. इस चोटी की समुद्रतल से... Read more
जलौनीधार एक छोटा मगर प्यारा सा बुग्याल
एक ओर उत्तराखंड जहां अपने उच्च हिमालयी ट्रेकिंग डेस्टिनेशंस के लिये प्रसिद्ध है तो वहीं उत्तराखंड अपने प्यारे खूबसूरत बुग्यालों के लिये भी प्रसिद्ध है. जलौनीधार बुग्याल ऐसा ही छोटा मगर खूबसू... Read more
देहरादून में देहरादून की व्यस्त और प्रदूषित सड़कों से बाहर निकलकर कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो बेहद खूबसूरत और सुकुन भरी हैं. देहरादून से मात्र 8 किमी. की दूरी पर ऐसी ही एक जगह है गुच्चुपानी. गुच्... Read more
ऐवरेस्ट में चढ़ने वाला पहला पर्वतारोही
जार्ज मैलेरी एक मात्र पर्वतारोही था जिसने ब्रिटिश सरकार के ऐवरेस्ट में पर्वतारोहण करने के सन् 1921, 1922 और 1924 के अभियानों में हिस्सा लिया था. मैलोरी का जन्म 18 जून 1886 में हुआ था और उसका... Read more
नैनीताल अब कभी नहीं सुन सकेगा मोहनदा के सुर-ताल
नैनीताल में रहने वाला शायद ही कोई ऐसा वांशिदा हो जो मोहनिया या मोहन या मोहन दा को न जानता हो. माल रोड में अपनी लाठी के सहारे रास्ते की टोह लेता हुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ता मोहन कहीं-न-कहीं नजर आ... Read more