वह एक प्रेम पत्र था
तहसील का मुख्यालय होने के बावजूद शिवपालगंज इतना बड़ा गाँव न था कि उसे टाउन एरिया होने का हक मिलता. शिवपालगंज में एक गाँव सभा थी और गाँववाले उसे गाँव-सभा ही बनाये रखना चाहते थे ताकि उन्हें टा... Read more
बिश्नु : पहाड़ की कहानी
‘होई नाती जा पै आपण ख्याल करिये मेरी चिन्ता झन करिये भेटण हूँ कै औने रयै, आपण बाप रन्कर जस झन करिये’ कहते हुऐ बुढ़िया आमा; दादी के आँसू टपक पड़े जिन्हें वो रोकने का प्रयास वह कर रही थी. ‘हिट... Read more
तीसमारखां : नवीन सागर की कहानी
नगरपालिका बनी तो सरकार ने प्रशासनिक अधिकारी भेजा. अधिकारी युवा था. लम्बे बाल रखता था और गजलें गाता था. बोलता कम था. उसकी आंखों का भाव अच्छा नहीं था. जब से यहां नगर-पालिका बनी है, बस्ती भर के... Read more
आज वीरेन डंगवाल का जन्मदिन है
वीरेन डंगवाल (5.8.1947,कीर्ति नगर,टिहरी गढ़वाल – 28.9.2015, बरेली,उ.प्र.) हिंदी कवियों की उस पीढ़ी के अद्वितीय, शीर्षस्थ हस्ताक्षर माने जाएँगे जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्मी और सुमित्रा... Read more
विद्यासागर नौटियाल की कहानी ‘जंगलात के सरोले’
ये चिपको वाले चैन नहीं लेने देंगे. पिछले कुछ वर्षों से पहाड़ पर तैनात डी.एफ.ओ. (डिविज़नल फॉरेस्ट ऑफीसर, प्रभागीय वनाधिकारी) शिव मंगल सिंह राणा की परेशानियाँ आजकल कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है... Read more
निर्मल वर्मा की कहानी ‘परिंदे’
अंधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी. दीवार का सहारा लेकर उसने लैम्प की बत्ती बढ़ा दी. सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बैडौल कटी-फटी आकृति खींचने लगी. सात नम्बर कमरे में लड़कियों की बातचीत और... Read more
बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों. कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे. दो-एक व्यक्ति पगड़ियां सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिख... Read more
पुस्तक के परिचय में रत्ना एम. सुदर्शन लिखती हैं- यह किताब उन लोगों को आश्चर्यचकित करेगी जो मेरे पिता को जानते थे. आई.सी.एस. अधिकारी रहे और ‘पद्म-विभूषण’ से सम्मानित स्व. बी डी पाण्डे की पिछल... Read more
शराब की दुकान
मिसेज सक्सेना ने जैसे विनय का आलिंगन करते हुए कहा- मैं आपके पास फरियाद लेकर न आऊँगी कि मुझे फँला आदमी ने मारा या गाली दी. इतना जानती हूँ कि अगर मैं सफल हो गयी, तो ऐसी स्त्रियों की कमी न रहेग... Read more
छूटा पीछे पहाड़- पथरीली राहों के बीच उड़ान और यादों का बहुरंगी गुलदस्ता मंजिलें जितनी आकर्षक लगती हैं, राहें उतनी आसान हुआ नहीं करती. पग-पग पर रूकावटें, चुनौतियां, इनसे खुद ही जूझना होता है,... Read more