इस साल की शुरुआत कुमाऊँ के चम्पावत जिले के स्कूल में दलित उत्पीड़न के लिए सुर्खियाँ बटोरने से हुई. इस घटना में सूखीढांग इंटर कॉलेज के सामान्य वर्ग के छात्रों ने अनुसूचित जाति की भोजन माता के हाथों बना भोजन ग्रहण करने से इनकार कर दिया था. इसी कड़ी में ताजा मामला अल्मोड़ा जिले में गरमपानी के पास भुजान से सामने आ रहा है. भुजान स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के तीन अध्यापकों के खिलाफ विद्यालय की ही महिला प्रवक्ता ने लंबे समय से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. लम्बे समय से चल रहे जातीय उत्पीड़न के खिलाफ आज पीड़ित शिक्षिका तहरीर लेकर भुजान पटवारी चौकी पहुंची. पटवारी चौकी में तीनों शिक्षकों के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम व अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गयी है.
(Caste Discrimination Uttarakhand Almora School)
राजस्व उपनिरीक्षक के माध्यम से संयुक्त मजिस्ट्रेट को भेजी शिकायत में पीड़िता ने आरोप लगाया है कि पंकज शाह के जीआइसी भुजान में प्रभारी प्रधानाचार्य का पद ग्रहण करने के बाद से ही उनका लगातार उसका मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है. दो अन्य प्रवक्ता शकील सिद्दीकी और मृणाल नेगी भी इसमें शामिल हैं.
तहरीर में महिला प्रवक्ता ने विद्यालय के दो पुरुष प्रवक्ताओं व एक महिला प्रवक्ता के खिलाफ आरोप लगाया है कि उनके द्वारा काफी वक़्त से जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था. इसे लेकर उन्होंने कई बार इन अध्यापकों को समझाने-बुझाने का काम लेकिन उनके व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ा. पूर्व में उच्चाधिकारियों को भी मामले से अवगत कराया जा चुका है.
आखिरकार परेशान होकर उन्हें इनकी शिकायत करने का फैसला लेना पड़ा. पीड़ित प्रवक्ता का कहना है कि दूसरे विद्यालय में उनका तबादला कर सीआर खराब करने की भी धमकी दी जाती है. छात्रों के सामने ही उन्हें जानबूझकर बेइज्जत किया जाता है. पटवारी ने शिकायत के आधार पर तीनों अध्यापकों के खिलाफ धारा 105 तथा अनुसूची जाति-जनजाति अधिनियम के तहत मुकदमा कायम कर जांच शुरू कर दी है.
(Caste Discrimination Uttarakhand Almora School)
पिछले कुछ वर्षों में हुई जातीय उत्पीड़न की कुछ घटनायें
उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में हुई जातीय उत्पीड़न की कुछ घटनायें इस तरह हैं-
- मई 2022 में एक ख़बर थी कि अल्मोड़ा जिले में एक दलित दूल्हे को घोड़े में नहीं चढ़ने दिया गया.
- इससे दो एक महीने पहले ही चम्पावत जिले में एक सरकारी स्कूल में सवर्ण बच्चों ने भोजनमाता के हाथों बना भोजन उनकी जाति की वजह से नहीं खाया.
- इसी तरह हल्द्वानी शहर के पास लालकुंआ क्षेत्र में दलित व्यक्ति के पड़ोस में घर बनाने पर महिला के गाली-गलौज का वायरल वीडियो भी बीते वर्षों का ही है.
- कोविड काल में नैनीताल जिले की खबर थी जब बाहर से आये प्रवासी ने दलित भोजन माता का बनाया खाना खाने से इनकार कर दिया और मामले की शिकायत करने वाले ग्राम प्रधान का विरोध किया.
- साल 2019 में टिहरी में एक दलित युवक की केवल इसलिए हत्या कर दी गयी क्योंकि वह विवाह समारोह में आयोजित भोज में कुर्सी पर बैठकर भोजन कर रहा था.
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