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1 Comments

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    प्रस्तुत आलेख का प्रारंभ जहाँ तत्कालीन युवाओं की मनोदशा के वर्णन से होता है , वही अन्त साहित्य और हिंदी विभाग के वर्णन से । घटनाओं का लेखन रोचक शैली में किया गया है , लेख के बीच में लगाई गई फ़ोटो हिंदी विभाग के लिए किसी धरोहर से कम नही है । बटरोही है हमारे विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष रहे है साथ ही मेरे शोध विषय ( शैलेश मटियानी ) के ना सिर्फ विशेषज्ञ है अपितु उन्हें मटियानी जी के साथ 2 वर्ष रहने का अवसर भी प्राप्त हुआ है । ऐसे विद्वान व मृदुभाषी महोदय को मेरा प्रणाम !
    अरविन्द कुमार मौर्य – 9936453665
    हिंदी विभाग , DSB परिसर , कुमाऊँ विश्वविद्यालय

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