दीपावली की पहचान खील-खिलौने और बताशों से ही है जनाब. उम्र के सौ वर्ष पूरे चुके हल्द्वानी वनभूलपुरा निवासी रियाज़ हुसैन उर्फ लल्ला मियां अपने कमरे के एकांत में बैठे हुए इतना ही कह पाए और फिर अतीत के पन्नों को टटोलने लगे. (Batasha Manufacturer Riyaz Hussain Lalla Mian)
बताशों और खिलौनों के व्यापार को लेकर चर्चा निकल पड़ी थी, लल्ला मियां बताने लगे सन 1930 में छोटा सा कारखाना शुरू किया और आज देखते ही देखते धंधा मन्दा पड़ गया. घोड़े, चाँद, भगवान का आकार लिए मीठे खिलौने बच्चों के अंदर त्यौहार के प्रति उत्सुकता और आनंद पैदा करते थे, मगर अब सब खो सा गया है. चार पीढ़ियों ने बताशे-खिलौने बनाने का व्यवसाय जमाए रखा मगर अब हालात ये हैं कि त्यौहार में नया कपड़ा तन पर संजोने के लिए भी इस व्यापार से पैसा कमाना मुश्किल होता जा रहा है. चीड़ की लकड़ी का धुआं फांकते-फांकते घर की दरख़्त काली पड़ गयी है मगर त्यौहार में इतनी रौनक नहीं कि घर के अंदर खुशियों का उजाला फैल सके. गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल में इस्तेमाल किये जाने वाले बताशों का ख़ासा हिस्सा हल्द्वानी के वनभूलपुरा में ही बनता है.
मियां जी आगे बताते हैं कि सन 1930 में उनके पिता विलायत हुसैन ने बताशा कारखाने की नींव रखी और उनके इंतकाल के बाद जिम्मेदारी उन्होंने संभाली फिर उम्र के इस पड़ाव में अब जब शरीर थकान से जूझ रहा है तो कारखाने के कामकाज को बेटा इनायत और पोता अमन वारसी संभाल रहे हैं.
बीते दौर की बातों को याद करते हुए लल्ला मियां बताते हैं कि एक ज़माने में उनके बताशे सरहद पार कर तिब्बत-चीन तक पहुंचा करते थे. सरहद पार भी बताशे और खिलौने की मांग रहती थी. घोड़ों की मदद से समान ढोया जाता था, सीमा से सटे दुकानदार माल ले जाते थे और अपने देश के बाजारों में बेचते थे.
(Batasha Manufacturer Riyaz Hussain Lalla Mian)
अब आलम यह है कि बाजार में बताशों और खिलौने के खरीदार ही नहीं है पूजा-पाठ में ही लोग बमुश्किल पाव भर खरीद पाते हैं. पहले लोग चाय के साथ भी मिठास के लिए बताशों का इस्तेमाल किया करते थे पर अब ज्यादातर लोग चीनी ही पसंद करते हैं. डायबिटीज जैसे रोगों के बढ़ने से भी लोग अब मीठे से कन्नी काटने लगे हैं. लाखों का व्यापार अब हजारों तक ही सिमट कर रह गया है.
(Batasha Manufacturer Riyaz Hussain Lalla Mian)
–भूपेश कन्नौजिया
हल्द्वानी में रहने वाले भूपेश कन्नौजिया बेहतरीन फोटोग्राफर और तेजतर्रार पत्रकार के तौर पर जाने जाते हैं.
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