सोर के बम, वर्मा या ब्रह्म राजवंश भी डोटी की ही शाखा थी. कुछ बम राजाओं के नाम थे- 1. कराकील बम 2. काकील बम 3. चनरी बम 4. अरकी बम 5. ज्ञानी बम 6. शक्ति बम 7. विजय बम 8. हरि बम.
(Bam Kingdom of Sor Pithoragarh)
इनकी राजधानी पिठौरागढ़ के पास उदयपुर थी, किन्तु जाड़ों में ये घमतप्पी के लिए रौलपट्टी में रामेश्वर की और बैलोरकोट में जाया करते थे. यहां अब भी इनके महलों के खंडहर मौजूद हैं.
पन्द्रहवीं सदी के महत्त्वाकांक्षी छोटे राजवंशों में ढोटी से निकला यह वंश भी था. डोटी के विध्वंश के बाद भारतीचन्द के पुत्र रतनचन्द (1450-88 ई.) ने सोर को भी जीत लिया.
बमों के एक राज-कर्मचारी जैंदा किराल की मनोरंजक कहानी आज भी प्रसिद्ध है. वह किसी गाँव पट्टी का बलदिया (बन्दोबस्ती अफसर) था. परगने की नयी नापी करके उसने मालगुजारी बढ़ा दी. लोगों में हाहाकार मच गया. लोगों ने उसकी स्त्री के पास झूठी खबर पहुँचायी कि जैंदा मारा गया. स्त्री सती होने के लिए तैयार हो गयी.
(Bam Kingdom of Sor Pithoragarh)
लोगों ने सलाह दी, यदि तू पति के कागजों को भी लेकर सती हो जाय तो पति की सदगति हो जायगी. स्त्री ने वैसा ही किया. तब से कहावत चली –
मरि गयो जैंदा जलायी हालि वै.
जसि-जसि सोरयाल कू नी तसि-तमि भै.
अर्थात् जैंदा मर गया और उसकी बही भी जलायी गयी. सोर वालों ने जैसा-जैसा कहा, वैसा-वैसा हुआ.
यह लेख राहुल सांकृत्यायन की किताब कुमाऊं से लिया गया है.
(Bam Kingdom of Sor Pithoragarh)
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