Featured

क्या उत्तराखंड में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में वापसी कर सकती है?

उत्तराखंड में कांग्रेस ने शनिवार शाम को आखिरकार पांचों लोकसभा सीटों पर टिकटों का एलान कर दिया है. अब दोनों तरफ के उम्मीदवार आपने सामने हैं. अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सुरक्षित सीट से अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा आमने सामने हैं. यहां केंद्रीय राज्य मंत्री थोड़ा बढ़त में हैं लेकिन चुनाव प्रचार और हरीश रावत के नैनीताल से लड़ने से प्रदीप टम्टा को थोड़ा फायदा मिलेगा. इसके अलावा यहां से रेखा आर्या जो साल 2016 में कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुई थी, वो विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बनी. वो इस सीट से टिकट की मांग कर रही थी लेकिन पार्टी ने अजय टम्टा पर भरोसा बरकरार रखा. यहां पर तीसरी कोई तीसरी पार्टी दोनों उम्मीदवारों को टक्कर देती हुई नहीं दिखती. उत्तराखंड क्रांति दल जो यहां की क्षेत्रीय पार्टी है आपसी कलह और महात्वाकांक्षा के चलते लगातार कमजोर हो रही है.

नैनीताल सीट हाईप्रोफाइल बनी

सबसे दिलचस्प मुकाबला या कहें उत्तराखंड की हाइप्रोफाइल सीट नैनीताल बन गई है. यहाँ से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए टिकट दिया है. वो साल 2016 के विधानसभा चुनाव में सीएम रहते किच्छा से हारे थे. ये विधानभा इसी संसदीय क्षेत्र में आती है. उनकी मुकाबला बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से है. वो मोदी लहर में पार्टी को विधानसभा चुनाव में 57 ऐतिहासिक सीटें तो दिला गए पर खुद चुनाव हार गए. ये हार भी उन्हें करन मेहरा से मिली थी जो हरीश रावत के रिश्तेदार हैं. इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. अजय भट्ट जमकर यहां संगठन का और संसाधनों का फायदा उठाएंगे ही, रावत की सबसे बड़ी परेशानी गुटबाजी है. इसके अलावा यशपाल आर्या और विजय बहुगुणा से भी उन्हें जूझना होगा जो उनके सीएम रहते बागी हुए थे. यशपाल आर्या ने तो यहां से दावेदारी भी ठोकी थी. उत्तराखंड क्रांति दल के काशी सिंह ऐरी, जिनकी पहले यहां से चुनाव लड़ने की खबर थी, उन्होंने अपने पैर वापस खींच लिए है, ऐसी चर्चा मीडिया में है. हरिद्वार लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री पोखिरयाल निशंक पर एक बार फिर से बीजेपी ने भरोसा दिखाया है. सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. अंतरिक्ष सैनी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं. ये उत्तराखंड की एकमात्र सीट है जहां सपा-बसपा का आधार है. कांग्रेस ने अंबरीश कुमार को यहां से टिकट दिया है. पहले यहां से हरीश रावत के लड़ने की खबरें थी.

मनीष खंडूरी के उतरने से चर्चा में आई गढ़वाल सीट

गढ़वाल सीट पर मनीष खंडूरी की दस्तक ने भाजपा को बड़ी परेशानी में डाल दिया है. सेना की पृष्ठभूमि से आने वाले अजय कोठियाल के पहले निर्दलीय लड़ने की खबरें थी. लेकिन उन्होंने अब चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. अब भाजपा के उम्मीदनार तीरथ सिंह रावत को उनसे कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है. दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. टिहरी गढ़वाल सीट पर प्रीतम सिंह को उतारकर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. प्रीतम सिंह अनुभवी नेता है. वो यहां की मौजूदा सांसद माला राजलक्ष्मी को टक्कर दे सकते हैं. इतिहास भले ही रानी और उनके घराने के साथ पर ये जमीन से जुड़ा नेता पासा पलट सकने की हिम्मत रखता है.

कांग्रेस भाजपा को रोक पाएगी

गौरतलब है कि साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने देवभूमि के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें जीती थी. लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली है. क्योंकि डबल इंजन की सरकार को यहां सबसे पहले सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा. दूसरी बात ये है कि प्रदेश नेतृत्व अभी भी पीएम मोदी के भरोसे है और उनसे 2016 विधानसभा जैसे चमत्कार की उम्मीद कर रहा है. ये बात खुद यहां के प्रदेश नेता अनऑफिशियल बातचीत में करते हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस ने देवभूमि में अपनी वापसी की बिसात के लिए मोहरे तो बिछा दिए हैं लेकिन क्या वो इस बार क्लीन स्वीप करने से भाजपा को रोक पाएगी, ये बड़ा सवाल है. इस चुनाव में हरीश रावत का बहुत कुछ दाव पर लगा है. पार्टी लगातार उन पर भरोसा दिखा रही है. अब देखना होगा कि उत्तराखंड में जनता कांग्रेस की वापसी कुछ सीटों पर कराएगी या जैसा कांग्रेस नेता दावा कर रहे हैं इस बार क्लीन स्वीप उनका होगा. यहां तीसरी पार्टी अभी कोई नहीं दिखती है जो इन दोनों पार्टियों का विकल्प बन सके. उत्तराखंड में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है सोमवार को नामांकन की आखिरी तारीख है. यहां पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान है. अब चाबी जनता के पास है देखते हैं कि वो किसके नाम पर मुहर लगाएगी.

डिसक्लेमर– ये लेखक के निजी विचार हैं.

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

विविध विषयों पर लिखने वाले हेमराज सिंह चौहान पत्रकार हैं और अल्मोड़ा में रहते हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

23 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

1 week ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago