रामपुर तिराहा कांड को 24 साल हो गए. शहीदों की कुर्बानी से उत्तराखंड बन गया. राज्य में बारी बारी से भाजपा और कांग्रेस राज कर रही हैं. लेकिन आंदोलनकारियों का बर्बर दमन करने वाले पुलिस और प्रशासन के कर्मचारी और अधिकारियों को अभी तक सजा नहीं मिल पायी है.
विगत वर्ष एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ की रैली में कांग्रेस पर रामपुर तिराहा कांड के दोषियों की गोद में बैठने का इल्ज़ाम लगाया है. लेकिन सत्ता का चरित्र कहां बदलता है. फिलवक्त किसी की सरकार में रामपुर तिराहा कांड में कोई दोषी नहीं साबित हुआ है.मानों कुछ हुआ ही नही हो.
2000 में उत्तराखंड एक अलग राज्य बन गया, लोगों को लगा कि इसके बाद राज्य की सरकार दोषी पुलिसवालों पर सख्ती से कार्रवाई करेगी. 2007 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी रामपुर तिराहा गए. वहां घोषणा की, सभी पेंडिंग केस पूरी शिद्दत से लड़े जाएंगे. लेकिन आज तक इस मसलें पर क्या हुआ सरकार भी भूल चुकी है.
अलग उत्तराखंड की मांग कर रहे आंदोलनकारियों ने 2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली में प्रदर्शन करना तय किया. इनको रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने मुज़फ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर पुलिस और पीएसी की पूरी छावनी बना कर नाकेबंदी कर दी. इस भीड़ को संभालना पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा था. शहर में जगह-जगह पुलिस और तत्कालीन मुलायम सरकार के खिलाफ आक्रोश सड़कों पर दिख रहा था. फिर ऐसा हुआ जिसकी कल्पना मात्र से ही आज भी सिरहन पैदा होती है.
दो अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर में हुए वीभत्स कांड की खबर से पूरे प्रदेश में मातम और अफरातफरी का माहौल बन गया था. फायरिंग में सात उत्तराखंडियों की मौत होने के साथ ही 17 जख्मी हो गए थे. 400 आंदोलनकारियों को पकड़कर सिविल लाइंस थाने ले जाया गया था सुबह हुई तो महिलाओं की अस्मत लूटे जाने की बात सामने आई.
1995 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच का आदेश दिया. 28 पुलिसवालों पर बलात्कार, डकैती, महिलाओं से बदसलूकी, हिंसा और महिलाओं के साथ सार्वजनिक रूप से अभद्रता के केस दर्ज हुए.
सीबीआई ने जांच में इस बात की पुष्टि हुई. ऐसे दो मामले कोर्ट में चल रहे हैं. बलात्कार के मामले में आरोप तय हो चुके है. मुजफ्फरनगर कोर्ट में सीबीआई की ओर से आरोप पत्र दायर करने के बाद विशेष न्यायाधीश कोर्ट में आईपीसी की धारा 376 (2 जी), 354, 392, 120 बी, 509 में सीबीआई बनाम मिलाप सिंह चल रहा है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रामपुर तिराहा कांड की बरसी के अवसर पर सोमवार को देहरादून कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर पहुंच कर राज्य शहीद आंदोलनकारियों को भाव भीनी श्रद्धांजलि दी.उन्होंने अपने सयानों पर आरोप लगाते हुए कहा उत्तराखंड आन्दोलनकारी महिला पुरुषों के साथ 2 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर में जो कुछ हुआ उसके बाद नए राज्य के सत्ता में आने वाले सत्तासीनों ने भी कभी उस काण्ड के दोषियों के खिलाफ कार्यवाई करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. शायद इन आरोपों के बाद वो खुद इस पहल को किसी अंजाम तक पहुंचा सकें.
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