भूत-प्रेत और उनके अस्तित्व और उनके बारे में प्रचलित बेहद रचनात्मक किस्से-कहानियां बचपन से ही मुझे बहुत आकर्षित करते रहे हैं. कथावाचन की परम्परा में इन महानुभावों का बड़ा ज़रूरी और महत्वपूर्ण स्थान है. पहाड़ों में में इनके कई किस्से बड़े चाव से सुने-सुनाए जाते रहे हैं लेकिन जितना विषद अध्ययन और दिलचस्प शोध इस विचित्र संसार पर यूरोप और दक्षिण अमरीका में किया जा चुका है, वह मेरे भीतर काफ़ी ईर्ष्या और सम्मान पैदा करता है.
फ़िलहाल मैं आपको अपने प्रिय शहर यानी चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग के कुछ भूतों के बारे में बताने जा रहा हूं. काफ़ी लम्बे समय से प्राग को यूरोप का सबसे भुतहा नगर भी कहा जाता है. यह अलग बात है कि अब ऐसा कहना उचित नहीं जान पड़ता. ऐसा नहीं कि प्राग के भूत किसी और जगह जा बसे हों पर आधुनिक सभ्यता उनके अस्तित्व को नकार के साथ देखने की हिमायती है सो प्राग के इतिहास के ज़रूरी हिस्सों के तौर पर जुआरियों, पागल नाइयों और मार डाले गए संगीतकारों वगैरह के प्रेत अब प्राग की टूरिस्ट गाइड्स के हिस्से बन कर रह गए हैं.
हर रात पौने आठ बजे आप प्राग के पुराने चौक पर मौजूद क्लॉक टावर के सामने पहुंच कर बाकायदा टिकट खरीदकर भुतहे मकानों के गाइडेड टूअर पर जा सकते हैं. करीब डेढ़ घन्टे चलने वाले इस टूअर में आप को आपका गाइड तमाम अभिशप्त इमारतों के बारे में बताएगा.
अपनी प्रेमिका पर बेवफ़ाई का सन्देह कर उसकी हत्या के बाद प्रायश्चित कर रहे सोलहवीं सदी के एक युवा तुर्क का प्रेत प्राग की पुरानी बसासत उन्गेल्त – 7 के टाइन कोर्ट में हर पूर्णिमा के दिन रोया करता है.
तीस साला युद्ध में मारे गए एक स्वीडन निवासी का भूत माला स्त्राना की गलियों में अपना कलम किया हुआ सिर टाट के एक बोरे में डाले घूमता रहता है. पुराने शहर की गलियों में कारोलियम के बाहर एक मिथकीय कंकाल के खड़खड़ाने की आवाज़ें आती हैं. इस लम्बे तड़ंगे नौजवान की देह को एक जन्तुविज्ञानी अपने संग्रह में रखना चाहता था. नौजवान को यकीन था कि वह अपने से चालीस साल बड़े जन्तुविज्ञानी प्रोफ़ेसर से ज़्यादा समय तक जीवित रहेगा, सो उसने अपनी सुदूर लगने वाली मौत के बाद अपना कंकाल फ़क़त तीस क्रोनर में बेच देना मंज़ूर कर लिया. उस रात उसने इन पैसों से ख़ूब शराब पी और उसके बाद हुए एक फ़साद में मारा गया. कहते हैं आज भी रातों को शराब में धुत्त घूमते लोगों को इस नौजवान का प्रेत पैसे मांगता मिल जाया करता है ताकि वह अपने कंकाल को वापस खरीद सके.
एक किस्सा घड़ीसाज़ के प्रेत का है तो एक काउन्टेस का जो अकाल के वक्त डबलरोटी के बने जूते पहन कर नृत्य किया करती थी. कीमियागरी, जादू, छल, छद्म जैसी शाश्वत थीम्स में लिपटी कहानियों में यहूदियों, कैथोलिकों, जादूगरनियों, सिरकटे पादरियों जैसे प्रेतों की अजब कहानियां प्राग के गली-कूचों में फैली हुई हैं.
टूअर के उपरान्त आप चाहें तो मिलोस्लाव स्वानद्रिलिक की लिखी ‘प्राग गोस्ट्स’ नामक किताब ख़रीद सकते हैं. मैंने आज तक कोई भूत नहीं देखा है अलबत्ता इस किताब को पढ़ना अब भी अच्छा लगता है.
हां, इस यात्रा पर निकलने से पहले यदि आपका गाइड आप को एब्सिन्थ नामक शराब के दो पैग हलक से नीचे उतारने का प्रस्ताव दे तो संकोच न कीजियेगा. आसमानी रंग की इस शराब के भीतर बला की आसमानी ताकतों से निबटने की ताकत होती है. क्या पता किसी गली के किसी कोने पर आप को वाक़ई में कोई साहब अपने कंकाल के लिए आप से तीस क्रोनर मांगते नज़र आ जाएं!
प्राग का सबसे बड़ा आकर्षण है व्रत्लावा नदी पर बना चार्ल्स ब्रिज. पुल पर दोनों तरफ़ सन्तों की पीतल की ऊंची ऊंची मूर्तियां ऐसा आभास देती हैं मानो किसी ऊंची जगह से आप पर निगाह रखी जा रही हो. समय बीत चुकने के साथ ये मूर्तियां काली पड़ चुकी हैं. मिथक है कि इन सन्तों में से एक ऐसे भी हैं जिन्हें मूर्ति में बदले जाने से पहले वे पूरी तरह मृत नहीं हुए थे.
एक मिथक यह भी है कि इस पुल पर मध्यकालीन समय में दस बड़े भूस्वामियों का सिर कलम कर दिया गया था. अब जो भी कोई आधी रात को इस पुल को पार करने की ज़ुर्रत करता है ये दस भूस्वामी एक डरावना कोरस गाते हुए उसकी ऐसी तैसी करने में कतई कोताही नहीं बरतते.
इतने सारे महान भूतों की उपस्थिति के बावजूद प्राग के सर्वप्रसिद्ध प्रेतों में अब भी रब्बी लोव और गोलेम माने जाते हैं. प्रेतों-भूतों का सबसे बड़ा ठिकाना अलबत्ता अब भी पुराना यहूदी कब्रिस्तान है. इस सब के बारे में फिर कभी बताऊंगा.
-अशोक पाण्डे
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें