अफ्रीकी लोक-कथाएँ : 1
बहुत पुरानी बात है मोहम्मद नाम का एक अक्लमंद इंसान था. वह कभी झूठ नहीं बोलता था. इलाके में दूर दूर तक लोग इस बात के लिए उसे जानते थे.
राजा ने मोहम्मद के बारे में सूना तो उसने अपने नौकरों को उसे अपने पास लाने का आदेश दिया. राजा ने अक्लमंद मोहम्मद की तरफ देखकर पूछा:
“क्या यह सच है कि तुमने आज तक कभी झूठ नहीं बोला है, मोहम्मद?”
“सच है महाराज.”
“क्या तुम पक्के यकीन से कह सकते हो कि तुम अपनी जिंदगी में कभी झूठ बोलोगे भी नहीं?”
“मुझे पूरा यकीन है.”
“ठीक है, सच बोला करो लेकिन सावधान रहना! झूठ बहुत चालाक होता है और आसानी से तुम्हारी जीभ तक पहुँच जाता है.”
कई दिन बीत गए. राजा ने मोहम्मद को फिर से बुलवाया. शिकार अभियान पर जाने को बड़ी भीड़ वहाँ तैयार खड़ी थी. राजा ने घोड़े की अयाल थाम रखी थी और उसका बायाँ पैर अभी से रकाब पर था. उसने मोहम्मद को आदेश दिया:
“मेरे महल में जाओ और वहाँ जाकर रानी से कहना कि मैं दोपहर के खाने के लिए आऊँगा. उसे कहना कि बड़ी दावत का इंतजाम किये रहे. तब तुम भी मेरे साथ खाना खाओगे.”
मोहम्मद ने झुककर राजा को सलाम किया और महल की तरफ चल पड़ा. तब राजा ठठाकर हंसा और बोला:
“हम शिकार पर नहीं जाएंगे और अब मोहम्मद रानी से झूठ बोलेगा. कल हम उसकी मजाक बनाएंगे.”
लेकिन अक्लमंद मोहम्मद ने महल पहुंचकर रानी से कहा:
“शायद आपने कल दोपहर के लिए बड़ी दावत का इंतजाम कर लेना चाहिए, और शायद नहीं भी. हो सकता है राजा दोपहर तक आ जाएँ या शायद नहीं.”
“मुझे बताओ कि वे आएँगे या नहीं? – रानी ने पूछा.
“मुझे नहीं मालूम उन्होंने अपना दायां पैर रकाब पर रखा या मेरे वहाँ से आने पर बायाँ वाला भी ज़मीन पर धर दिया.”
हर किसी ने राजा का इंतज़ार किया. वह अगले दिन पहुंचा और उसने रानी से कहा:
“कभी झूठ न बोलने वाले मोहम्मद ने कल तुमसे झूठ बोला था.”
लेकिन रानी ने राजा को मोहम्मद के कहे शब्दों के बारे बताया. तब राजा को अहसास हुआ कि अक्लमंद आदमी खभी झूठ नहीं बोलता और सिर्फ वही कहता है जिसे उसने अपनी आँखों से देखा होता है.
अंग्रेज़ी से अनुवाद: अशोक पाण्डे
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