Featured

गढ़वाली-कुमाऊनी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद में पेश बिल की कुमाऊनी रपट

कुमाउनी और गढ़वालि कैं संविधानैक अठूँ अनुसूची में लोनैंक मांग भौत पुराणि छू. भाषा सम्मेलन, गोष्ठियों आदि में समय-समय पर य मांग उठते रूँ. पर य भाषान कैं अठूँ अनुसूची अन्तर्गत लौंने लिजि राजनीतिक पहल भौत कम आजि तक है रे. यई कारण छू कि कुमाऊनी-गढ़वालि के सरकाराक स्तर पर मान्यता दिलूनैतैं आजि तक क्वे पहल नै है रे. राजनीतिक स्तर पर भी थ्वाड़ भौति पहल है रे. यस्सि एक पहल नैनीताल क लोकसभा सांसद अजय भट्टैल गत 22 नवम्बर 2019 कैं लोकसभा में आपण एक निजी विधेयक पेश करि भैर करि. जैमैं उनिल कुमाऊनी और गढ़वाली भाषाओं कैं संविधानैक अठूँ अनुसूची में शामिल करनैक मांग करि. भट्टैक य निजी विधेयक पर बाद में चर्चा ह्वैलि. उनिल आपुँण निजी विधेयक कैं पेश करनाक बार में क कि संविधानैक अठूँ अनुसूची में अब तक देसाक 22 भाषाओं कैं शामिल करि भैर उनन कैं मान्यता दी है. पर उत्तराखण्ड में कुमाऊनी-गढ़वालि भाषाक लाखों लोग हुनाक बाद ले य भाषानक मान्यता सवाल आजि ले अधर में छू. भट्ट ज्यूल आपुँण निजी विधेयक में कै राख  कि गढ़वालि प्राचीनकाल बटि केदारखण्ड में बोली जैं. लोगनैल गढ़वालि कैं कब बटि ल्यखन शुरु कर य बार में त भाषा वैज्ञानिक ही क्ये बतै सकनान्. Garhwali-Kumaoni language in the Eighth Schedule

तेरू शतीब्दी है भैर पैंलि जब हिन्दी भाषाक क्वे अस्तित्व ले नी छी, तब गढ़वाल राज्य आजाक सहारनपुर और हिमान्चल प्रदेसाक कुछ क्षेत्रन तक फैली हुई छी. तब गढ़वालि राजकाजैक भाषा छी. देवप्रयाग मन्दिर में महाराजा जगतपालक टैम पर वर्ष 1335 दानपात्र पर उत्कीर्ण लेख, देवलगढ़ में अजयपालक टैम पर 15वीं शताब्दिक लेख गढ़वालि भाषा में मिलनान्. जो यह बतूणा लिजि पर्याप्त छन कि गढ़वालि एक भौत प्राचीन भाषा छू. भट्ट ज्यूल डॉ. हरिदत्त भट्ट ” शैलेष ” एक लेखक उल्लेख करते हुए आपुँण निजी विधेयक में क कि गढ़वालि भाषा में 10वीं शताब्दिक लिखित साहित्य तक मौजूद छू. कुमाऊँ में ले चंद शासनकालक दौरान कुमाऊनी राजकाजै कि भाषा छी. कुमाउनी में ही ताम्र पत्रन मैं राजाज्ञा ल्येखि जां छी. तबाक कई उपलब्ध ताम्र पत्र य बातैकि पुष्टि करनान्.

कुमाऊनी-गढ़वालि की मान्यता कैं लि भैर अजय भट्ट द्वारा लोकसभा में विधेयक पेश करि बाद उत्तराखण्डाक कुमाऊनी-गढ़वालि लोगन में एक नई आशा जागि ग्ये. सबनैक नजर अब भट्ट ज्यूक निजी विधेयक पर भविष्य में हुँणि वालि चर्चा पर अटैकि ग्ये. य बार में गढ़वालिक प्रसिद्ध व्यंग्यकार नरेन्द्र कठैत कुनान् कि यैक लिजि राजनीतिक स्तर पर पहल और लड़ाई लै भौत जरुरी छू. यैकि दगाड़ में हमार कुमाऊनी, गढ़वलि भाषा में हर विधा में जतू लै किताब प्रकाशित छन् उनैरि एक लाइब्रैरी हुँण भौत आवश्यक छू. ताकि हमार भाषानक साहित्य एक जाग पर संरक्षित है सको और हमन कैं य लै पत्त चल सको कि हमार पास लिखित साहित्य कतू संख्या में छू और वीक स्तर कि छू. कठैत ज्यू कुनान कि उनिल य बार में साल भर पैंलि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत ज्यू कैं एक ज्ञापन पौड़ी में दे छी. तब मुख्यमन्त्री ज्यूल ज्ञापन पर शीघ्र कार्यवाई करनाक भरोस दिला. पर साल भर बाद लै य बार में सारकाराक तरफ बटि क्ये पहल नै है रे. नरेन्द्र कठैत कुनान कि उनिल य बार में ज्ञापनक सन्दर्भ दी भैर चार चिठ्ठी मुख्यमन्त्री कार्यालय कैं देहरादून भैजि हालान. पर उँ चिठ्ठिनक लै क्वे जवाब मुख्यमन्त्री कार्यालय बटि नै आय. जो भौत पीड़ादायक छू.

कुमाउनी-गढ़वालि भाषा कि मान्यताक सवाल पर सबसे पैंलि राजनैतिक पहल उत्तराखण्ड क्रान्ति दलैल करि. गैरसैंण में जब वीक 1992 में द्विवार्षिक सम्मेलन भ्यो. सम्मेलन में आखरी दिन 25 जुलाय दिन राजनैतिक प्रस्ताव पारित भ्यान जबत उत्तराखण्ड क्रान्ति दलाक तत्कालीन उपाध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार व वरिष्ठ नेता चौधरी विजयपालैल कुमाउनी – गढ़वलि कैं संविधानक आठूँ अनुसूची में शामिल करणि वाल प्रस्ताव राख्. जो ध्वनि मतैल पारित भ्यो. वीक बाद उक्रान्द य मामल में क्वे लै उल्लेखनीय पहल नै करि सैकि. सांसद अजय भट्ट ज्यूक य बार में नीजि विधेयक लोकसभा में राखन् है है भैर पैंलि ले लोकसभा और राज्यसभा में उठि र. सतपाल महाराज जब कॉग्रेस पार्टि में छी जबत तब उँ लोकसभा में 2009 बटि 2014 तक कॉग्रेसाक सांसद पौड़ी गढ़वाल सीट बटि छी. तब उनिल लोकसभा में य मुद्द कैं उठा. उनिल 2010 में एक निजी विधेयक लोकसभा में पेश कर. जै पर 19 अगस्त 2011 दिन चर्चा भै.

उनरि पहल पर उँ समय पर लोकसभाक अध्यक्ष ज्यूल सांसद सीताकान्त महापात्र कि अध्यक्षता में एक कमेटिक गठन कर. उ कमेटिल आपुँणि रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष कैं 21 मई 2011 कैं सौंप दे. पर उ रिपोर्ट में कि छी ? क्वे नैं जॉणन, क्येकि 2014 में लोकसभाक नई चुनाव है ग्ये छी और भारतीय जन्ता पार्टिक सरकार केन्द्र में बँणि ग्ये छी. सतपाल महाराज ले वीक बाद लोकसभाक चुनाव नै लड़. महाराजैल य बार में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह कैं 13 अगस्त 2010 दिन 80 सांसदोंक हस्ताक्षर वाल एक ज्ञापन ले सौंप छी. जैमें कुमाउनी – गढ़वालि कैं आठूँ अनुसूची में शामिल करनैक मॉग करि ग्ये छी.

उत्तराखण्डाक विधानसभा में ले 23 सितम्बर 2010 दिन एक संकल्प पारित करी भैर राष्ट्रपति कैं भेजि ग्यो छी जैमें कुमाउनी-गढ़वालि कैं एक भाषाक तौर पर सरकारी कार्यालय, पंचायतनैक बैठक और तलिक अदालतन में प्रयोग करनै कि अनुमति दिई जानैक अनुरोध करि ग्ये छी. यैक बाद अक्टूबर 2010 में प्रदेश सरकारैल एक शासनादेश जारी कर, जैमें समूह ” ग ” की नौकरियों लिजि कुमाउनी, गढ़वालि व जौनसारी क ज्ञान कैं नियुक्ति लिजि उपयुक्त व वांछनीय घोषित करि ग्ये. पर बाद में सत्ताधारी भाजपाक हरिद्वार व ऊधमसिंह नगराक मैदानी क्षेत्रनाक विधायकों विरोध करि बाद भाजपा सरकारैल 8 दिसम्बर 2010 कैं  उँ शासनादेश कैं वापस ली ले. जैक उँ टैम पर भाजपा कि सरकार में सहयोगी उत्तराखण्ड क्रान्ति दलैल न केवल भौत विरोध कर, बल्कि वीक अध्यक्ष त्रिवेन्द्र सिंह पंवारैल यैक विरोध में भाजपा सरकार बटि 27 दिसम्बर 2010 क दिन  समर्थन तक वापस ली ले.

कुमाउनी-गढ़वालि कि भाषाई मान्यता कैं ली भैर कॉग्रेसाक सांसद प्रदीप टम्टा लैल ले राज्यसभा में समर्थन कर. उनिल 19 अगस्त 2017 दिन राज्यसभा में सांसद बीके हरिप्रसादक निजी संविधान संशोधन विधेयक ( अठूँ अनुसूची) – 2016 लक समर्थन करते हुए क कि उँ हरिप्रसादाक गुढ़वा व तुलू भाषाओं कैं संविधानैक अठूँ अनुसूची में शामिल करनाक मॉगक समर्थन करनाक दगाड़ ही उत्तराखण्डाक द्वी मुख्य भाषा कुमाउनी व गढ़वालि कैं ले संविधानैक अाठूँ अनुसूची में शामिल करनैकि मॉग करनान्. टम्टा ज्यूल क कि उत्तराखण्डै कि य द्विये भाषा राज्याक अलग – अलग हिस्स कुमाऊँ व गढ़वालै कि भाषा छन् और राज्याक लगभग 80 लाख है भैर अधिक लोगनकि भाषा छन. देसाक विभिन्न हिस्सन में रुनि वाल कुमाऊँ व गढ़वालाक लाखों लोगन कैं ले ये में शामिल करि लिनूँ जबत य लगभग संख्या सवा करोड़ है भैर ज्यादा है जालि. उनिल क कि राज्याक दूर दराजाक इलाक में रूनि वालि आबादिक भौत ठुल हिस्स कैं त कुमाऊनी और गढ़वलि अलावा और क्वे भाषा ले नै उनि और नै उकैं समझैं. यां तक कि उँ लोग हिन्दी ले भौत भलि कै नै समझि पान, उनर लिजि अंग्रेजी समझण त भौत दूरैकि बात छू.

टम्टा ज्यूल क कि उँ जब आपुँण संसदीय क्षेत्राक सुदूरवर्ती क्षेत्र में जानान जबत उनन कैं वां लोगनाक दगाड़ बातचीत् लिजि कुमाऊनी और गढ़वलि में ही बुलाण पड़ूँ. उनिल क कि उत्तराखण्डै कि य द्विये भाषा भौत समृद्ध छन् और इनम में अपार संख्या में हर विधाक लिखित साहित्य मौजूद छू. जैमें कहानी, कविता, ललित निबंध, व्यंग्य, आत्मकथा, लोकसाहित्य, लोकसंगीत, रिपोर्ताज, खण्डकाव्य तक मौजूद छन्. कुमाऊँ में चंद राजवंशक शासनक दौरान कुमाऊनी और गढ़वाल में पंवार वंशक शासनक दौरान गढ़वालि राजकाजै कि भाषा छी. कुमाऊनी में त तीन सौ सालन बटि रामलीलाक मंचन करी जा नौ. कुमाऊनी में त होलि गाणैंक ले आपुँणि एक भौत बढ़िया परम्परा छू. जो भाषाओंक यदु समृद्धशाली इतिहास छू, उँ भाषाओं कि उपेक्षा देसकि आजादी बाद ले ठिक न हॉ. Garhwali-Kumaoni language in the Eighth Schedule

यां य बतूण जरुरी छू कि जब 26 जनवरी 1950 दिन संविधान लागू भ्यो जबत तब आठूँ अनुसूची में केवल 14 भाषा ही शामिल छी. जैनरि संख्या अब बढ़ी भैर 22 है ग्ये और देसैकि 38 और भाषा गृह मन्त्रालय में विचाराधीन सूची में छन् और आठूँ अनुसूची में शामिल हुनैक इंतजार में छन. यॉ य बतूण जरूरी छू कि संविधानैकि आठूँ अनुसूची में य समय पर हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, गुजराती, मराठी, असमी, बांग्ला, उड़िया, डोगरी, नेपाली, तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम, कश्मीरी, मैथली, कोंकणी, मणिपुरी, संस्कृत, संथाली, सिंधी भाषा शामिल छन्. गृह मन्त्रालय कैं एक नई कमेटिक गठन करी भैर य बार में निर्णय करन चैं. भैत सा लोग कुनान् कि कुमाऊनी और गढ़वलि की आपुँण क्वे लिपि न हॉ. यैक वील यनन कैं संविधानैक आठूँ अनुसूची में शामिल न करण चैन. केवल लिपि नै हुनै कि बात करि भैर क्वे ले भाषाकि मान्यता नै रौकि जै सैकनि, किलेकि दुनियैकि तीन जो सबसे ठुलि भाषा छन् अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू, यनैरि लै आपुँणि क्वे लिपि न हॉ. Garhwali-Kumaoni language in the Eighth Schedule

      क्वे लै भाषाक आठूँ अनुसूची में शामिल हुणाक मतलब हूँ कि उ भाषा संसदाक द्विये सदनों राज्यसभा और लोकसभाक अलावा केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में कामकाजैकि भाषा लै बणैं और वीक दगाड़ में उ भाषाओं कैं जाणनि वालनक लिजि सरकारि नौकरिक बाट ले खुलूँ. यैक अलावा लोकसभा व राज्यसभा में ले सम्बंधित भाषाओं वाल राज्यनैकि विधानसभा में निर्वाचित सांसद, विधायक व मन्त्री उ भाषा में पद और गोपनीयताकि शपथ ले ली सकनान्. उत्तराखण्ड में हाल में सम्पन्न हईं त्रिस्तरीय पंचायत चुनावनक बाद जब गत 28 नवम्बर 2019 दिन क्षेत्र पंचायत प्रमुख और क्षेत्र पंचायत सदस्यनक सपथ ग्रहण भ्यो जबत अल्माड़ जिल्लाक स्याल्दे ब्लॉकाक कोट सारी क्षेत्र पंचायताक सदस्य खीमानन्द जोशी ज्यूल कुमाऊनी में सपथ ग्रहण करि. यस उत्तराखण्ड में पैंलि बार भ्यो. उत्तराखण्ड में य बार में आजि भौत ज्यादा राजनीतिक पहल नै है रे, जैक वील कुमाउनी, गढ़वलि कैं संविधानैक आठूँ अनुसूची में शामिल करनैक मुहिम आपुँण मंजिल तक नै पुजि नै. Garhwali-Kumaoni language in the Eighth Schedule

उत्तराखण्ड सरकारों द्वारा हमरि कुमाउनी, गढ़वलि भाषाओं कैं महत्व नै दिए जॉणा कारण आज य महत्वपूर्ण भाषानक अस्तित्व खत्तर में छू. संयुक्त राष्ट्र संघ कि संस्था यूनेस्को द्वारा ले कुमाउनी – गढ़वाली कैं संकटग्रस्त भाषा कै है. यूनेस्कोक कूँण छू कि यनन कैं शीघ्र ही लोगनक और सरकारि स्तर पर महत्व नी दिई जाल जबत कुमाऊनी और गढ़वालि कुछ सालन बाद हमेशा लिजि खत्म है जालि. जो भौत चिंताजनक बात छू. Garhwali-Kumaoni language in the Eighth Schedule

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री के नियमित सहयोगी जगमोहन रौतेला वरिष्ठ पत्रकार हैं और हल्द्वानी में रहते हैं. अपने धारदार लेखन और पैनी सामाजिक-राजनैतिक दृष्टि के लिए जाने जाते हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

15 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

15 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

6 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago