गढ़वाल के लैंसडाउन में है गढ़वाल राइफल्स का गौरवशाली केंद्र. यहां भारत के जांबाज जवानों के शौर्य व पराक्रम की जितनी गाथाएं लोकप्रिय है उतने ही चर्चित हैं लैंसडाउन के भूतों के किस्से. लैंसडाउन में एक नहीं भूतों के अनेक किस्से सुने-सुनाये जाते हैं. इनमें सबसे हिट किस्सा है घोड़े पर घूमने वाले सिर कटे अंग्रेज भूत का किस्सा.
(Ghost of Lansdowne)
कहते हैं कि रात के समय लैंसडाउन छावनी में सफ़ेद घोड़े पर सवार एक सरकटा अंग्रेज घूमता है. छावनी में ड्यूटी कर रहे सिपाहियों की निगरानी करने वाले इस सरकटे अंग्रेज के कई किस्से हैं. अगर कोई सिपाही रात की ड्यूटी में सोता मिलता है तो भूत उसके सिर पर टपली मार कर जगा देता है. बेहूदगी से वर्दी पहने लोगों के साथ भी यह अंग्रेज ऐसा ही बर्ताव करता है.
रिटायर हुए कई फौजी तो यहां तक कहते हैं कि यह भूत रात की ड्यूटी में सोने वालों की सुबह साहब को लिखित शिकायत तक करता है.
बताया जाता है कि यह भूत एक अंग्रेज ऑफिसर डब्लू. एच. वार्डेल का है. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान डब्लू. एच. वार्डेल फ़्रांस के मोर्चे पर जर्मनी से लड़ता हुआ मारा गया था. इस अंग्रेज अफ़सर की लाश कभी नहीं मिली.
कहते हैं कि युद्ध में वोर्डेल बड़ी बहादुरी के साथ जर्मनों से लड़ा. युद्ध में उसकी मौत के बाद तब ब्रिटिश अख़बारों में लिखा गया था कि वह शेर की तरह लड़ा और मारा गया. बड़ा अफ़सोस है कि हमें ऐसे शूरवीर का शव तक नहीं मिला.
लोगों का मानना है कि जिस रात वोर्डेल मारा गया ठीक उसी रात लैंसडाउन की छावनी में एक बगैर सर वाले अंग्रेज को सफ़ेद घोड़े में सवार देखा गया. इसके बाद बहुत से लोग जिन्होंने इस छावनी में रात की ड्यूटी की है इस बात का दावा कर चुके हैं कि ड्यूटी में कामचोरी करने पर उन्हें वार्डेल ने टोका है.
(Ghost of Lansdowne)
डब्लू. एच. वार्डेल एक ब्रिटिश अफ़सर था जो 1912 में फर्स्ट बटालियन से जुड़ा. वह 1893 में भारत आया. 1901-02 के आसपास उसने कुछ वक़्त अफ्रीका में नौकरी की और दोबारा भारत लौट आया. 1911 के दिल्ली दरबार में जब राजा जार्ज पंचम आया तब उसके स्वागत में भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले अफसरों में एक डब्लू. एच. वार्डेल भी थे.
प्रथम युद्ध से पहले वह लैंसडाउन में ही थे. मौत से पहले लैंसडाउन में पोस्टिंग होने और शव के क्रियाकर्म न होने के चलते यह माना जाता है कि 100 साल बाद आज भी डब्लू. एच. वार्डेल भूत बनकर लैंसडाउन छावनी में ही घूमते हैं.
(Ghost of Lansdowne)
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