एक बार की बात है प्राचीन भारत के एक राज्य में एक बहुत नेकदिल राजा राज करता था. उस राजा की कोई संतान न थी जिसे कि वह अपना उत्तराधिकारी बनाता. राजा बूढ़ा होता जा रहा था. वह एक सुयोग्य उत्तराधिकारी चुनना चाहता था ताकि उसका राज्य सुरक्षित रहते हुए समय के साथ और समृद्ध होता रहे. राजा ने पूरे राज्य में मुनादी करवाते हुए उत्तराधिकारी के रूप में योग्य युवाओं को साक्षात्कार के लिए अपने पास आमंत्रित किया. साक्षात्कार के आधार पर ही नए उत्तराधिकारी का चयन किया जाना था. उम्मीदवारों के लिए सिर्फ एक शर्त थी कि उनके दिल में अपने देशवासियों के प्रति अगाध प्रेम होना चाहिए. पूरे राज्य के युवाओं में नया राजा बनने की संभवनाओं को लेकर बेहद उत्साह था. एक सीमांत इलाके के पिछड़े गांव में रहने वाले एक गरीब युवक तक भी यह सूचना पहुंची. वह भी बहुत उत्साहित था. उसने राजा से अपने साक्षात्कार की तैयारियां शुरू कर दी. युवक बहुत दयालू और मेहनती था पर कई वजहों के चलते वह बहुत गरीब था. उसके पास राजा के पास साक्षात्कार के लिए जाने को ठीक-ठाक कपड़े तक न थे.
(An Inspiring Story)
युवक ने बहुत मेहनत से काम करते हुए थोड़े ज्यादा पैसे कमाए ताकि वह कुछ कपड़े खरीद सके. कपड़ों के साथ उसने खाने-पीने का कुद जरूरी सामान भी खरीउा ताकि वह राजा के महल तक की लंबी यात्रा पूरी कर सके. नए कपड़े पहनकर और खाने-पीने का सामान एक पोटली में बांधकर युवक ईश्वर का नाम लेकर लंबी यात्रा पर निकल पड़ा. वह कई दिनों तक पैदल चलता रहा और अंतत: महल के बहुत करीब पहुंच गया. महल के करीब ही उसे सड़क के किनारे एक बहुत फटेहाल भिखारी दिखा. वह फटे कपड़ों में ठंड में कांप रहा था. युवक को देखकर भिखारी ने अपने हाथ फैलाए और मदद की याचना की. वह कंपकंपाती आवाज में बोला – मुझे बहुत ठंड लग रही है और मैं बहुत भूखा भी हूं. सहब मेरी कुछ मदद करो!
युवक उसकी इतनी खराब हालत देख पिघल गया. उसने तुरंत अपने नए कपड़े निकालकर भिखारी को दे दिए. उसने अपने पास बची खाने-पीने की चीजें भी उसे दे दी. भिखारी उसके सम्मुख नतमस्तक हो गया. उसने युवक को सुखी जीवन की हजार दुआएं दीं. युवक ने क्योंकि अपने कपड़े भिखारी को दे दिए थे, उसे राजा के सम्मुख साक्षात्कार के लिए जाने में थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी. लेकिन उसने बहुत हिम्मत करके अपने पुराने कपड़ों में ही राजमहल के भीतर जाने का मन बनाया. राजमहल के भीतर प्रवेश करने के बाद राजा के सिपाहियों ने उसे उस हॉल का रास्ता दिखाया जहां सभी युवक राजा से साक्षात्कार के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे. यात्रा की थकान मिटाने के लिए दिए गए थोड़े से वक्त में आराम कर लेने के बाद उसे उस कक्ष में ले जाया गया जहां राजा एक-एक कर सभी युवा उम्मीदवारों से साक्षात्कार कर रहा था. कक्ष में प्रवेश करने के बाद वह राजा का अभिवादन करने के लिए बहुत नीचे तक झुका. लेकिन जब उसने नजर उठाकर राजा के चेहरे की ओर देखा तो वह सकते में आ गया. उसे राजा का चेहरा पहचाना सा लगा. और तब उसे याद आया कि यह चेहरा हूबहू उस भिखारी के चेहरे से मिलता था जिसे उसने अपने नए कपड़े और खाने-पीने की चीजें दी थीं. राजा उसके चेहरे पर हैरानी के भाव देखकर मुस्कराते हुए बोला – हां हां, तुमने इीक पहचाना. मैं वही भिखारी हूं जिसे तुमने रास्ते में देखा था.
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लेकिन आपने खुद को भिखारी के रूप में क्यों बदला. आप तो राजा हैं – युवक ने हैरत भरे भाव से पूछा.
क्योंकि मुझे यह सुनिश्चित करना था कि तुम सचमुच अपने राज्य के लोगों को सच्चा प्रेम करते हो – राजा ने कहा.
मैं जानता था कि अगर मैं तुम्हारे सम्मुख राजा के रूप में आता, तो तुमने मुझे प्रभावित करने के लिए कुछ भी किया होता. लेकिन तब मैं तुम्हारे दिल की सच्चाई नहीं जान पाता कि वह वस्तुत: कैसा है. बदले में किसी भी चीज की अपेक्षा किए बिना जरूरतमंद लोगों के प्रति दिखाई गई उदारता एक महान हृदय की पहचान है. एक भिखारी के प्रति तुम्हारे प्रेम और उदारता को देखकर यह साबित होता है कि तुम वास्तव में सच्चे मन से अपने राज्य के लोगों को चाहते हो और उनके लिए कुछ भी कर सकते हो. इस राज्य को ऐसे ही लीडर की जरूरत है, जो पूरे राज्य के लिए काम करे न कि सिर्फ राज-सिंहासन की चापलूसी करने वालों के लिए. तुमने साबित किया है कि मेरा उत्तराधिकारी बनने के लिए तुम ही सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हो – राजा ने मुस्कराकर युवक की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा.
जीवन में दया और करूणा बुद्धिमत्ता से कहीं बेहतर और जरूरी है. इस बात की समझ ही बुद्धिमत्ता की शुरुआत है. अपने साथी मनुष्यों के प्रति प्रेम और करूणा से भरा हुआ दिल इस संसार के लिए सबसे बड़ा उपहार है.
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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