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1 Comments

  1. Ganesh Verma

    पहाड़ी स्वयं में बहुत ही सम्पन्न है। कई बार सिर्फ बोलने के लहजे से ही भावार्ध बदल जाते हैं यहाॅ तक कि एकदम विपरीत हो जाते हैं। देखिये…
    1. बहुत बारिस हुई। पानी भरा है…. पानी पट्ट है रौ
    2. बरिस नहीं हुई। जरा भी पानी नहीं है….पानी पट्ट है रौ।
    … बस पहाड़ी बोलिये तो।

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