2019 में जागेश्वर धाम में श्रावणी मेला 17 जुलाई को शुरु हुआ था. यह मेला सावन के पूरे महीने चलता है जिसमें बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं.
(Almora Jageshwar Savan Mela)
अल्मोड़ा शहर से 37 किमी की दूरी पर स्थित जागेश्वर समुद्र तल से 1,870 मी की ऊंचाई पर स्थित है. मंदिर समूह में कत्यूरीकाल, उत्तर कत्यूरीकाल एवं चंद्र काल के कुल 124 मंदिर हैं जिनका निर्माण काल 9वीं से 13वीं सदी के मध्य बताया जाता है. मंदिर के विषय में विस्तृत जानकारी यहां देखें :
भगवान शिव का आठवां ज्योतिर्लिंग जागेश्वर – क्यों जाएं? कैसे जाएं?
दंतकथा के अनुसार शिव ने अपने ससुर दक्ष प्रजापति का वध करने के पश्चात अपने शरीर पर अपनी पत्नी सती के भस्म से अलंकरण किया व यहाँ ध्यान हेतु समाधिस्थ हुए. कहानियों के अनुसार यहाँ निवास करने वाले ऋषियों की पत्नियां शिव के रूप पर मोहित हो गयीं थीं. इससे ऋषिगण बेहद क्रोधित हो गए और भगवान् शिव को लिंग विच्छेद का श्राप दिया था. इस कारण धरती पर अन्धकार छा गया था. इस समस्या के समाधान हेतु ऋषियों ने शिव सदृश लिंग की स्थापना की व उसकी आराधना की. उस समय से लिंग पूजन की परंपरा आरम्भ हुई. यह भी कहा जाता है कि भूल ना होते हुए भी श्राप देने के जुर्म में शिव ने उन सात ऋषियों को आकाश में स्थानांतरित होने का दण्ड दिया.
(Almora Jageshwar Savan Mela)
एक अन्य दंतकथा के अनुसार, भगवान् राम के पुत्र लव और कुश ने यहाँ यज्ञ आयोजित किया था जिसके लिए उन्होंने देवताओं को आमंत्रित किया था. कहा जाता है कि उन्होंने ही सर्वप्रथम इन मंदिरों की स्थापना की थी.
(Almora Jageshwar Savan Mela)
वर्ष 2019 में जागेश्वर में चल रहे सावन मेले की कुछ तस्वीरें देखिये :
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें