आज क्रिकेट के सर्वकालीन महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले डॉन ब्रैडमैन की पुण्यतिथि है. साल 2001 में आज ही के दिन उनका देहांत हुआ था. कहा जाता है कि जिसने मीर तक़ी मीर का नाम नहीं सुना, उसे उर्दू शायरी का ज़रा भी ज्ञान नहीं हो सकता. क्रिकेट में ठीक यही बात सर डॉन ब्रैडमैन (Don Bradman) के बारे में कही जाती है.
उनके बारे में उनके साथ खेले और टाइगर के नाम से विख्यात स्पिनर बिल ओ’ रिली ने अपनी एक किताब में लिखा था: “मेरे अनुमान से उस जैसा खिलाड़ी न हुआ न होगा. आप तमाम चैपल और वॉ भाइयों और एलन बॉर्डर वगैरह को मिला कर भी उस जैसा खिलाड़ी नहीं बना सकते. उस के सामने ये बच्चे हैं. मैंने तो उसे खेलते हुए देखा है साहब और उस आदमी की योग्यता का आप अनुमान भी नहीं लगा सकते. ये अमरीका वाले क्या बेब रूथ (बेब रूथ को बेसबॉल में ब्रैडमैन वाला दर्ज़ा प्राप्त है) की रट लगाए रहते हैं. ब्रैडमैन था आधुनिक समय का असली चमत्कार”
खेल के मैदान पर लम्बे समय तक डॉन से व्यक्तिगत मतभेद रखने वाले टाइगर के इस कथन की पुष्टि ब्रैडमैन के खेल जीवन में बिखरे तमाम किस्सों कहानियों द्वारा होती है.
1930 में डॉन अपने पहले इंग्लैंड दौरे पर गए तो उनकी ख्याति उनसे पहले वहां पहुंच चुकी थी. यॉर्कशायर के साथ खेले गए एक शुरुआती अभ्यास मैच में जॉर्ज मैकॉले नामक एक उत्साही गेंदबाज़ ने ओवर समाप्त होने पर कप्तान से गेंद मांगते हुए बड़ी बदतमीज़ी से कहा: “इस छोकरे को बॉलिंग मुझे करने दो यार”
पहला ओवर उसने मेडन फेंका. दूसरे में डॉन ने पांच चौके लगाए और अगले में चार. “इस छोकरे की बात का इतना भी बुरा मत मानो, डॉन!” दर्शकों में से कोई चिल्ला कर बोला. इन साहब को दुबारा गेंदबाज़ी करने का पूरे मैच में मौका नहीं मिला.
इस सीरीज़ में सर डॉन ब्रैडमैन ने कुल 974 रन बनाए. हैडिंग्ली के मैदान पर उन्होंने एक ही दिन में 309 रन स्कोर किए. इसके बाद इंग्लैंड से साथ उन्होंने कुल सात एशेज़ श्रृंखलाएं खेलीं और इस दौरान अविश्वसनीय लगने वाले कीर्तिमानों का अम्बार जुटाया. इन में से ऑस्ट्रेलिया केवल एक बार हारा और वह भी तब जब डॉन के आतंक का सामना करने को अंग्रेज़ों ने क्रिकेट को हमेशा के लिए शर्मसार बना देने वाली बॉडीलाइन गेंदबाज़ी का सहारा लिया – उल्लेखनीय है कि इस के बावजूद बॉडीलाइन सीरीज़ में ब्रैडनैन का औसत 56 का रहा. कुल बावन टेस्टों की अस्सी पारियां खेलीं इस खिलाड़ी ने और उनतीस शतक ठोके. जब वे ओवल में अपनी आख़िरी पारी के लिए उतरे तो सौ रन प्रति पारी का असंभव करियर-औसत पाने के लिए उन्हें महज़ चार रन चाहिए थे. लेकिन वे दूसरी ही गेंद पर शून्य पर आउट हो गए और उनका औसत बना 99.94. यह विचित्र संयोग भी सर डॉन ब्रैडमैन की दास्तान का अमर हिस्सा बन चुका है.
1931 में लिथगो के साथ एक प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए बिल ब्लैक नाम के एक ऑफ़-स्पिनर ने डॉन को बावन के स्कोर पर आउट कर दिया. अम्पायर तक इस बात से इतना उत्तेजित हुआ कि उसने कहा: “आखिरकार तुमने आउट कर ही दिया डॉन को”. मैच के बाद बिल ने अम्पायर से सर डॉन का बेशकीमती विकेट लेने वाली वह गेंद ले ली और उसे बाक़ायदा फ़्रेम करवा कर स्थानीय क्रिकेट क्लब में प्रदर्शन हेतु रखा.
उसी सीज़न में दोनों खिलाड़ी एक बार फिर से आमने सामने थे. बिल अपना रन अप मार्क कर रहे थे तो डॉन ने विकेटकीपर से पूछा: “ये साहब किस तरह की बॉलिंग करते हैं?”
विकेटकीपर ने शरारत भरे स्वर में कहा: “आपको इस की याद नहीं? कुछ हफ़्ते पहले इस ने आप को आउट किया था और
तब से इसका दिमाग खराब हो गया है – अपनी ही तूती बजाता फिरता है हर जगह”
“ऐसा?” ब्रैडमैन ने संक्षिप्त सी प्रतिक्रिया दी.
उन दिनों ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में आठ गेंदों का ओवर हुआ करता था. दो ओवर फेंक चुकने के बाद बिल ब्लैक ने अपने कप्तान से गेंदबाज़ी से हटा लिए जाने की विनती की. उस के दो ओवरों में सर डॉन ब्रैडमैन ने बासठ रन कूट डाले थे. अपनी पारी के दौरान एक समय उन्होंने तीन ओवरों में सेंचुरी मारी और कोई ढाई घन्टे बाद जब वे आउट हो कर लौट रहे थे तो उनका स्कोर था 256 जिसमें चौदह छक्के थे और उनतीस चौके.
– अशोक पाण्डे
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