अफ्रीकी लोक-कथाएँ : 2
कालाबार का राजा एयाम्बा बहुत ताकतवर था. उसने अपने पड़ोस के सभी देशों को हराकर उन पर कब्ज़ा कर लिया था. उसने वहां के सभी बूढ़े औरत-आदमियों को मरवा दिया और सारे हट्टे कट्टे आदमी-औरतों को कैद कर अपना गुलाम बना लिया जो जीवन भर उसके खेतों पर कड़ी मेहनत करने को मजबूर थे.
इस राजा की दो सौ पत्नियाँ थीं, लेकिन किसी से भी उसे बेटे का सुख नसीब नहीं हुआ था. उसके चक्रों ने जब देखा कि राजा बूढ़ा होता जा रहा है, उस से अनुरोध किया कि वह मकड़ी की बेटी से शादी कर ले क्योंकि मकड़ी हमेशा बहुत सारे बच्चों को जन्म देती थी. लेकिन जब राजा ने मकड़ी की बेटी को देखा वह उसे पसंद नहीं आई. वह बदसूरत थी. लोगों का ख़याल था कि उसकी बदसूरती की वजह यह थी कि उसकी माँ ने एक साथ इतने सारे बच्चे जने थे. खैर जो भी हो, अपनी प्रजा को खुश करने के लिए उसने उस बदसूरत लड़की से शादी कर ली और उसे अपनी बाकी रानियों के साथ रहने को कह दिया. लेकिन बाकी रानियों ने राजा से शिकायत की कि वह बहुत बदसूरत है और उनके साथ रहने के काबिल नहीं. सो राजा ने उसके लिए एक अलग घर बनवा दिया जहां और रानियों की तरह उसे भी खाना वगैरह दिया जाता था. हर कोई उसकी बदसूरती को लेकर उसका मजाक उडाया करता; लेकिन वास्तव में वह बदसूरत नहीं बल्कि खूबसूरत थी, क्योंकि वह दो त्वचाओं के साथ पैदा हुई थी और उसके पैदा होते समय उसकी माँ से यह वायदा करवाया गया था कि सिवा रात के वक्त उसकी बेटी एक निश्चित समय आने से पहले अपनी बाहरी त्वचा को नहीं उतारेगी. और यह भी कि भोर होते ही उसे अपनी बदसूरत त्वचा को फिर से पहन लेना होगा.
राजा की पटरानी को किसी तरह यह बात पता थी और उसे हरदम डर लगा रहता कि कहीं राजा इस बात को जान न ले, कि कहीं वह मकड़ी की बेटी से प्यार न कर बैठे. सो वह एक जूजू के पास गयी और उसे सोने की दो सौ छड़ों का लालच देकर ऐसा जादुई मिश्रण बनाने का नुरोध किया जिसे पीकर राजा इस बात को बिलकुल ही भूल जाए कि मकड़ी की बेटी उसकी पत्नी है. काफी मोलभाव के बाद जूजू तीन सौ पचास छड़ों के एवज में ऐसा करने को तैयार हो गया. उसके बनाए मिश्रण को पटरानी ने राजा के खाने में मिला दिया. कुछ महीनों तक ऐसा असर रहा कि राजा मकड़ी की बेटी को भूल ही गया और उसके बिलकुल नज़दीक से गुजरने पर भी उसे कुछ याद न आता. जब चार महीने बीतने को आए और राजा ने एक बार भी आदिया (यही नाम था मकड़ी की बेटी का) को याद नहीं किया तो वह थक गयी और वापस अपने माँ-बाप के घर चली गयी. उसके पिता उसे एक दूसरे जूजू के पास ले लिए जिसने कई तरह के जादू-टोनों से यह पता लगा लिया कि पटरानी ने एक दूसरे जूजू की मदद से राजा की याददाश्त पर अंकुश लगा रखा था. उसने एक “दवा” तैयार की जिसे खिलाने पर राजा को फिर से आदिया की याद आ जानी थी. इस दवा के बदले जूजू ने मोटी रकम वसूली. आदिया ने उसी दिन एक व्यंजन बनाया और उसमें दवा मिलकर राजा को प्रस्तुत किया. उसे खाते ही राजा अपनी पत्नी को पहचान गया और उसे उसी शाम मुलाक़ात करने को कहा. सो वह बहुत खुश हुई. नदी में नहाने के बाद उसने अपनी सबसे सुंदर पोशाक पहनी और राजा के महल पहुंच गयी.
जल्द ही अंधरा हो गया. जब सारी बत्तियाँ बुझ गईं आदिया ने अपनी बदसूरत त्वचा उतार दी. टब राजा ने देखा वह कितनी सुन्दर है. राजा बहुत खुश हुआ. लेकिन जब सुबह मुर्गे ने बांग दी, आदिया ने फिर से अपनी बदसूरत पोशाक पहनी और वापस अपने घर चली गयी.
ऐसा उसने चार रातों तक किया – अन्धेरा होते ही बदसूरत त्वचा को उतार देना और भोर होने पर उसे फिर पहन लेना. समय बीतता गया और लोगों को घोर आश्चर्य हुआ जब इतनी सारी पत्नियों में से मकड़ी की बेटी आदिया ने एक बेटे को जन्म दिया. इस से भी ज़्यादा आश्चर्य उन्हें इस बात पर हुआ कि सिर्फ एक ही बेटा पैदा हुआ, जबकि उसकी माँ एक बार में कम से कम पचास बच्चे जनती थी.
आदिया के बेटे के जन्म के बाद पटरानी और भी जलन से भर उठी; वह फिर से जूजू के पास गयी और उसे बहुत सारा सोना-चाँदी देकर उस से ऐसी दवा बनाने को कहा जिसे खाकर राजा बीमार पड़ जाए और अपने बेटे को भूल जाए. और यह कि उस दवा को खाकर राजा को खुद जूजू के पास आना पड़े. तब जूजू ने उसे बताना था कि उसे उसके बेटे ने बीमार बनाया था क्योंकि वह खुद राजा बनना चाहता था. जूजू ने तब राजा को सलाह देनी थी कि अच्छा होने के लिए उसने अपने बेटे को नदी में फिंकवा देना चाहिए.
तो जब राजा को दवा खिला दी गयी, वह जूजू के पास गया जिसने उसे वही सब करने को कहा जैसा पटरानी ने उसे बता रखा था. शुरू में राजा अपने बेटे को मारने से हिचका. लेकिन जब उसके चाकरों के उस से बेटे को मार देने की सलाह देते हुए हौसला दिलाया कि साल भर में उसे एक बेटा और मिल सकता है तो राजा मान गया. आदिया मिन्नतें करती रही, जार-जार रोती रही पर उसके बेटे को नदी में फेंक दिया गया.
इसके बाद पटरानी फिर से जूजू के पास गयी और कुछेक और दवाएं लेकर आई. इन दवाओं के असर से राजा आदिया को तीन साल तक भूल गया. इन तीन सालों तक आदिया अपने बेटे की मौत का शोक मनाती रही. वह वापस अपने पिटा के पास लौटी जो उसे फिर से उसी दूसरे जूजू के पास ले गए जिसकी दी हुई दवा खिलाए जाने पर राजा को फिर से आदिया की याद आ गयी. राजा ने उसे वापस बुला लिया और वे दुबारा से पहले की तरह रहने लगे. आदिया के पिटा की मदद करने वाला जूजू दरअसल पानी वाला जूजू था और जब राजा ने अपने बेटे को पानी में फेंका था, उसने उसे बचा लिया था और अपने साथ ही रखा था. अब वह बालक बहुत ताकतवर बन चुका था.
थोड़े समय बाद आदिया ने एक बच्ची को जन्म दिया. ईर्ष्यालु रानी ने अपनी तरकीबों से उसे भी पानी में फिंकवा दिया. काफी मान मनव्वल के बाद ऐसा करने के बाद राजा फिर से आदिया को भूल गया. लेकिन पानी वाला जूजू इस बार भी तैयार था. उसने नन्ही बच्ची को भी बचा लिया. अब उसने तय किया कि ईर्ष्यालु पटरानी को सज़ा देने का समय आ चुका है. सो वह आसपास के मज़बूत और ताकतवर लोगों से मिला और उन्हें इस बात पर राजी करने के कामयाब हुआ कि बाजार में हर सप्ताह कुश्ती का अखाड़ा हुआ करे. जब यह तय हो गया तो पानी वाले जूजू ने राजा के बेटे को, जो अब बेहद ताकतवर बन चुका था और अपने पिता जैसा ही दीखता था, इस कुश्ती की बाबत बतलाया और वहाँ जाकर हिस्सा लेने को कहा. उसने यह ही कहा कि उसे कोई भी हरा नहीं सकेगा. इसके बाद एक महा-कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें देश के सबसे शक्तिशाली पहलवानों को न्यौता भेजा गया. राजा ने इस आयोजन में अपनी पटरानी के साथ आना स्वीकार कर लिया.
कुश्ती के दिन पानी वाले जूजू ने राजा के बेटे से कहा कि उसे किसी से भी डरने की ज़रूरत नहीं और यह कि उसकी ताकत के आगे कोई भी सूरमा चंद मिनटों से ज़्यादा टिक नहीं सकेगा. देशभर के लोग इस मुकाबले को देखने आए. राजा ने पहले से घोषणा कर राखी थी कि जीतने वाले ढेर सारे इनामात दी जाएंगे. जब वहां मौजूद पहलवानों ने राजा के बेटे को देखा तो उस पर हंसते हुए तंज़ कसते हुए बोले: “अरे यह छोकरा! हमारे आगे इसकी क्या चलेगी!” लेकिन जब असल कुश्ती शुरू हुई, कोई भी पहलवान राजा के बेटे के सामने मुकाबला न कर सका. लड़का वाकई बहुत मजबूतभी, सुन्दर था और खूबसूरत देह का स्वामी. सारे दर्शक हैरान हो रहे थे कि वह हू-ब-हू उनके राजा जैसा दिखाई देता है.
प्रतियोगिता समाप्त हुई और राजा के बेटे को विजेता घोषित कर दिया गया. उसने सब को हरा दिया था बल्कि कईयों की तो हड्डियां और पसलियां टूट गए थे. सारे इनामात देने के बाद राजा ने उसे अपने महल में रात के खाने पर आमंत्रित किया. राजा का निमंत्रण खुशी खुशी स्वीकार करने के बाद राजा के बेटे ने नदी में नहाकर उम्दा कपड़े पहने और राजमहल पहुंचा जहां राजा के साथ उसके खास दरबारी और राजा की सबसे प्रिय पत्नियां खाने के लिए उसका इंतज़ार कर रहे थे. भोजन शुरू हुआ. राजा अपने बेटे के साथ बैठा हुआ था लेकिन उसे यह बात मालूम ही नहीं थी. लड़के के दूसरी तरफ़ सारे बवाल की जड़ यानी ईर्ष्यालु पटरानी बैठी थी. पूरे भोज के दौरान वह लड़के को रिझाने की कोशिश करती रही क्योंकि उसके दिल में इस लड़के की खूबसूरती और ताकत के प्रति अथाह आसक्ति पैदा हो गयी थी. वह मन ही मन सोच रही थी: “पति के रूप में मुझे यही लड़का चाहिए, क्योंकि मेरा वर्तमान पति बूढ़ा है और शर्तिया जल्दी ही मर जाएगा.” लड़का ताकतवर होने के साथ साथ अक्लमंद भी था और उसे इस ईर्ष्यालु औरत के बारे में सब कुछ पहले से मालूम था. हालांकि उस के उस पर रीझ जाने से उसका मनोरंजन हुआ पर उसने अपनी तरफ़ से कोई ढील नहीं दी और जितना जल्दी संभव था अपने घर वापस लौट आया.
जब वह पानी वाले जूजू के घर वापस लौटा. उसकी सारी कहानी सुनने के बाद पानी वाले जूजू ने कहा-
“चूंकि इस समय राजा तुम्हें पसंद करता है, यह ज़रूरी है कि तुम कल सुबह उस के पास जाकर अपना एक काम करवाने को कहो. तुम राजा से कहोगे कि सारे देश की जनता को एक जगह बुलवाया जाए जहां एक खास मामले की सुनवाई हो. और यह कि जब मुकदमा समाप्त हो जाए, जो भी दोषी पाया जाए उसे इग्बो द्वारा सार्वजनिक रूप से क़त्ल किया जाए.”
सो अगली सुबह लड़का राजा के पास गया जिसने खुशी खुशी उसकी बात मान ली और तुरंत अपने कारिंदों को उस सुनवाई के दिन सभी को पहुँचने की सूचना देने के लिए रवाना कर दिया. लड़का वापस पानी वाले जूजू के पास गया जिसने उसे उसकी माँ के पास जा कर अपनी पहचान बताने को कहा. और यह भी कि सुनवाई वाले दिन उस की माँ ने अपनी बदसूरत त्वचा उतार कर अपने पूरे सौंदर्य के साथ मुकदमे के दौरान मौजूद रहना होगा. क्योंकि ऐसा करने का समय अब आ गया था. बेटे ने ऐसा ही किया.
जब मुकदमे का दिन आया, आदिया चौक के एक कोने पर बैठ गयी. इस खूबसूरत अजनबी को किसी ने भी मकड़ी की बेटी के तौर पर नहीं पहचाना. उसका बेटा उसकी बगल में बैठा हुआ था और अपने साथ अपनी बहन को भी लेकर आया था. बेटी को देखते ही आदिया बोल उठी- “यह मेरी बेटी ही होनी चाहिए जिसे मैं मरा हुआ मान बैठी थी” और उसे गले से लगा लिया.
फिर राजा और उसकी पटरानी पहुंचे और चौक पर अपने लिए नियत पत्थरों पर बैठे. सभी लोगों ने राजा का अभिवादन कर उसका स्वागत किया. तब राजा ने लोगों को बतलाया कि यह खास सुनवाई एक युवक के अनुरोध पर की जा रही है जो हाल ही में कुश्ती का विजेता बना है और यह भी कि उसने मुकदमा हार जाने की शर्त पर अपने आप को इग्बो द्वारा मृत्युदंड दिए जाने का प्रस्ताव दिया है. राजा ने यह भी कहा कि अगर युवक मुकदमा जीत जाता है तो हारे हुए पक्ष को क़त्ल कर दिया जाएगा चाहे उसमें स्वयं वह या उसकी रानियाँ ही क्यों न शामिल हों. जो भी मुकदमा हारेगा इग्बो द्वारा उसका सर कलम कर दिया जाएगा. इस बात पर सभी लोग राजी हो गए और उन्होंने कहा कि वे युवक की बात सुनना चाहते हैं. तब राजा का बेटा उठा और चौक के बीचोबीच पहुंचकर उसने पहले राजा और जनता का अभिवादन किया और एक प्रश्न पूछा: “क्या में इस देश में किसी मुखिया का बेटा होने लायक हूँ?” सारे ही लोगों ने एक साथ कहा: “हाँ!”
इसके बाद वह अपनी बहन को अपने साथ बीच में लेकर आया. वह बहुत सुन्दर थी. जब सब उसे देख चुके उसने पूछा: “क्या मेरी बहन मुखिया की बेटी होने के लायक है?” सभी ने हाँ में उत्तर देते हुए कहा कि वह तो राजा तक की बेटी होने के लायक है.
तब उसने अपनी माँ आदिया को पुकार लगाई. अपनी सबसे सुन्दर पोशाक और सबसे सुन्दर गहने धारण किये खूबसूरत आदिया जब सबके सामने आई तो सब ने उसका खुशी खुशी स्वागत किया. इतनी सुंदर औरत उन्होंने इसके पहले नहीं देखी थी. तब लड़के के सवाल पूछा; “क्या यह स्त्री किसी राजा की पत्नी होने के लायक है?” लोगों के भीतर से एक गूँज उठी कि ऐसी औरत तो किसी राजा की ही पत्नी हो सकती है और उसके कई बेटों की माँ भी.
तब लड़के ने राजा की बगल में बैठी ईर्ष्यालु पटरानी की तरफ़ इशारा किया और लोगों को बताया कि किस तरह मकड़ी की दो त्वचाओं वाली बेटी, उसकी माँ पर ईर्ष्यालु पटरानी ने अत्याचार किये थे. कि किस तरह दुष्ट जूजू की मदद से उसने राजा को आदिया को भूल जाने और अपने बेटे-बेटी को नदी में फेंक देने पर विवश किया था. और यह भी कि किस तरह पानी वाली जूजू ने दोनों की रक्षा की और उन्हें पाल पास कर बड़ा किया.
उसके बाद लड़के ने कहा: “मैं इस मामले का फैसला आप और आपके राजा पर छोडता हूँ. अगर मैंने कोई गलती की है तो मुझे इग्बो द्वारा पत्थर मार-मार कर क़त्ल कर दिया जाए. और अगर इस औरत ने कोई अपराध किया है तो इग्बो द्वारा वही किया जाए जैसा आप चाहें.
जब राजा की समझ में आया कि कुश्ती जीतने वाला और कोई नहीं उसका अपना बेटा था तो उसकी खुशी की सीमा न रही और इग्बो से कहा गया कि वे ईर्ष्यालु पटरानी को ले जाएँ और उसके साथ क़ानून के हिसाब से जो ज़रूरी हो करें. इग्बो ने फैसला किया कि ईर्ष्यालु पटरानी एक जादूगरनी थी; सो वे उसे एक जंगल में ले गए और उसे एक पेड़ से बाँध दिया. उसके बाद दरियाई घोड़े की खाल से बने कोड़े से उस पर दो सौ प्रहार किए गए. अंततः उसे ज़िंदा जला दिया गया ताकि वह और कोई अपराध न करे. जलाने के बाद उसकी राख को नदी में बहा दिया गया.
इधर राजा ने आदिया और अपनी बेटी को गले लगाते हुए लोगों से कहा कि आगे से आदिया को ही उनकी रानी मानी जाए.
मुकदमा खत्म हो जाने पर आदिया को रानी की पोशाक पहना कर महल में जाया गया जहां राजा ने अपने परिवार के पुनर्मिलन की खुशी में छियासठ दिन के शाही भोज का आयोजन किया. इसके साथ ही राजा ने नियम बना दिया कि किसी भी स्त्री द्वारा अपने पति के नुकसान के लिए किसी तरह के टोने टोटके करने वाली औरत को तुरंत मार दिया जाए.
इसके बाद पूरा परिवार आने वाले कई सालों तक खुशी खुशी साथ रहा. राजा के मरने के बाद उसके बेटे ने राजगद्दी सम्हाल ली.
अंग्रेज़ी से अनुवाद: अशोक पाण्डे
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