समाज

आज ही के दिन हुआ था खटीमा गोलीकांड

1 सितम्बर, 1994 की सुबह खटीमा में हमेशा की तरह एक सामान्य सुबह की तरह शुरू हुई. लोगों ने अपनी दुकानें खोली थी. सुबह दस बजे तक बाजार पूरा खुल चुका था. तहसील के बाहर वकील अपने-अपने टेबल लगा कर बैठ चुके थे.
(Khatima Goli Kand 1994)

आज खटीमा में सरकार की गुंडागर्दी के विरोध में प्रदर्शन किया जाना था सो करीब आठ-साढ़े आठ बजे से ही रामलीला मैदान में लोगों ने जुटना शुरू किया था. साढ़े दस होते-होते दस हजार लोगों की भीड़ जमा हो चुकी थी.

इसमें युवा, पुरुष, महिलायें और पूर्व सैनिक शामिल थे. महिलाओं ने अपनी कमर में परम्परा के अनुसार दरांती बांध रखी थी तो पूर्व सैनिकों में कुछ के पास उनके लाइसेंस वाले हथियार थे. रामलीला मैदान से सरकार का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ.

भीड़ में तेज आवाज में सरकार विरोधी नारे लगते. सितारागंज रोड से होता हुआ जुलूस तहसील की ओर बढ़ा. यह जुलूस दो बार थाने के सामने होकर गुजरा था. पहली बार में जन जुलूस थाने के आगे से निकला तो युवाओं ने खूब जोर-शोर से नारेबाजी की.
(Khatima Goli Kand 1994)

जुलूस का नेतृत्व कर रहे पूर्व सैनिकों को जब लगा कि युवा उत्तेजित हो रहे हैं तो उन्होंने भीड़ को संभाल लिया. इस तरह आन्दोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था.

दूसरी बार जब जुलूस के आगे के लोग तहसील के पास पहुंच गये थे और पीछे के लोग थाने के सामने थे, तभी थाने की ओर से पथराव किया गया और कुछ ही देर में आस-पास के घरों से भी पथराव शुरू हो गया.

यह देखते ही पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के लोगों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया. अगले डेढ़ घंटे तक पुलिस रुक-रूककर गोली चलाती रही. अचानक हुई इस गोलीबारी से भीड़ में भगदड़ मच गयी. जिसमें आठ लोगों की मृत्यु हो गयी और सैकड़ों घायल हो गये.

पुलिस की गोलियों से कुछ लोगों की मृत्यु हो गयी तो पुलिस ने चार लाशों को उठाकर थाने के पीछे एलआईयू कार्यालय की एक कोठरी में छुपा दिया. देर रात के अंधेरे में चारों शवों को शारदा नदी में फेंक दिया. घटना स्थल से बराबद अन्य चार शवों के आधार पर पुलिस ने अगले कई सालों तक मारे गये लोगों की संख्या केवल चार बताई.
(Khatima Goli Kand 1994)

पुलिस ने लगभग साठ राउंड गोली चलाई. पुलिसवालों ने तहसील में जाकर वकीलों के टेबल जला दिये और वहां जमकर तोड़फोड़ मचा दी.

पुलिस ने अपने काम को सही ठहराने के लिए तर्क दिया कि पहले आन्दोलनकारियों की ओर से गोली चलाने के कारण उन्हें जवाबी कारवाई करनी पड़ी. अपने तर्क को मजबूती देने के लिए पुलिस ने महिलाओं द्वारा कमर में दरांती का खूँसा जाना और पूर्व सैनिकों का लाइसेंस वाली बंदूक का अपने पास रखे होने का बहाना दिया. आज भी महिलाओं की दरांती और पूर्व सैनिकों की लाइसेंस वाली बंदूक को खटीमा गोलीकांड में गोली चलाने के कारण के रूप में पुलिस गिनाया करती है. खटीमा गोलीकांड में एक भी पुलिस वाले के शरीर में न तो किसी गोली के निशान मिले ना ही दरांती के.

उत्तराखंड के इतिहास में आन्दोलन के दमन की यह घटना है. इस घटना में शहीद आन्दोलनकारियों के नाम हैं :

  1. प्रताप सिंह
  2. सलीम अहमद
  3. भगवान सिंह
  4. धर्मानन्द भट्ट
  5. गोपीचंद
  6. परमजीत सिंह
  7. रामपाल
  8. भुवन सिंह

शंकर सिंह भाटिया की किताब उत्तराखंड राज्य आन्दोलन का इतिहास और मदन मोहन करगेती की पुस्तक स्वतंत्रता आन्दोलन तथा स्वातंत्र्योत्तर उत्तराखंड के आधार पर.
(Khatima Goli Kand 1994)

काफल ट्री डेस्क

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • अफसोस की इस सुनियोजित कांड पर किसी नेता या अधिकारी को आजतक सजा नहीं हुई ।

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

15 hours ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

17 hours ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

2 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

3 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

3 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago