भोंदू जी की सर्दियाँ

भोंदू जी की सर्दियाँ

– वीरेन डंगवाल
(Viren Dangwal)

आ गई हरी सब्जियों की बहार
पराठे मूली के, मिर्च, नीबू का अचार

मुलायम आवाज में गाने लगे मुंह-अंधेरे
कउए सुबह का राग शीतल कठोर
धूल और ओस से लथपथ बेर के बूढ़े पेड़ में
पक रहे चुपके से विचित्र सुगन्‍धवाले फल
फेरे लगाने लगी गिलहरी चोर

बहुत दिनों बाद कटा कोहरा खिला घाम
कलियुग में ऐसे ही आते हैं सियाराम

नया सूट पहन बाबू साहब ने
नई घरवाली को दिखलाया बांका ठाठ
अचार से परांठे खाये सर पर हेल्‍मेट पहना
फिर दहेज की मोटर साइकिल पर इतराते
ठिठुरते हुए दफ्तर को चले

भोंदू की तरह

धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे

किसने आख़िर ऐसा समाज रच डाला है

इतने भले नहीं बन जाना साथी

कहने को तो वीरेन डंगवाल हिंदी के एम.ए.पीएच.डी और लोकप्रिय, बढ़िया प्राध्यापक थे, एक बड़े दैनिक के सम्पादक भी रहे, लेकिन इस सब से जो एक चश्मुट छद्म-गंभीर छवि उभरती है उससे वह अपने जीवन और कृतित्व में कोसों दूर थे. उनकी कविता की एक अद्भुत विशेषता यह है कि मंचीय मूर्ख हास्य-कवियों से नितांत अलग वह बिना सस्ती या फूहड़ हुए इतने ‘आधुनिक’ खिलंदड़ेपन, हास-परिहास,भाषायी क्रीड़ा और कौतुक से भरी हुई हैं कि प्रबुद्धतम श्रोताओं को दुहरा कर देती थी. इसमें भी वह हिंदी के लगभग एकमात्र कवि दिखाई देते हैं और लोकप्रियता तथा सार्थकता के बीच की दीवार तोड़ देते हैं.

– विष्णु खरे

वीरेन डंगवाल (1947-2015)

वीरेन डंगवाल (5 अगस्त 1947 – 27 सितम्बर 2014) समकालीन हिन्दी कविता के सबसे लोकप्रिय कवियों में गिने जाते हैं. साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता इस कवि के तीन कविता संग्रह – ‘इसी दुनिया में’, ‘दुश्चक्र में सृष्टा’ और ‘स्याही ताल’ प्रकाशित हुए. हाल ही में उनकी सम्पूर्ण कविताएँ नवारुण प्रकाशन से छपकर आई हैं.

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago