छात्रसंघ चुनावों में पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल

उत्तराखंड के छात्रसंघ चुनावों में इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का प्रयोग किया जाएगा. ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा. यहां 10 हजार से अधिक संख्या वाले कॉलेजों में ईवीएम के जरिए मतदान करवाना अनिवार्य होगा तो वहीं दूसरे कॉलेजों को अनुरोध करने पर यह सुविधा मिलेगी. चुनावों के लिए 8 सितंबर का दिन तय किया गया है. प्रदेश के सभी कालेंजों में एक साथ चुनाव होंगें. यह प्रदेश में पहली बार हो रहा है.

अभी तक प्रदेश में अलग-अलग महाविद्यालयों औऱ डिग्री कॉलेजों में मतदान अलग-अलग तारीख को कराया जाता है. साथ ही जो बड़े महाविद्यालय है उनमें मतदान के दिन मतगणना नहीं हो पाती है. एच.एन.बी. गढ़वाल यूनिवर्सिटी, डीएवी पीजी कॉलेज और हल्द्वानी स्थित एमपीजी कॉलेज जिनकी छात्र संख्या 10,000 से ज्यादा है. ईवीएम के जरिेए इस बार मतदान कराया जा सकता है ताकि जिस दिन मतदान कराया जाए उसी दिन चुनाव परिणाम घोषित कराए जाए. इस बार के चुनाव में इन कॉलेजों  में ईवीएम अनिवार्य रूप से लागू कर दी गयी है.

उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव में लागू किए जा रहे सुधारों का मकसद कॉलेजों में शैक्षिक सत्र को नियमित करने के साथ ही वर्षभर में न्यूनतम 180 दिन कक्षाएं संचालित करना है. उत्तराखंड के कॉलेजों में अब तक औसतन 168 दिन ही कक्षाएं संचालित होती हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में छात्रसंघ के चुनाव लगभग 42 दिनों में सम्पन्न होते हैं. ऐसे में अब से छात्रसंघ चुनाव एक दिन में ही संपन्न करवाए जाएंगे. ऐसा करने से करीब 35 दिन बचेंगे और पठन-पाठन के दिनों में बढ़ोत्तरी होगी.

लिंगदोह समिति ने जहां यह सीमा महज पांच हजार रुपये तक सीमित की थी, वहीं राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया है. 10 हजार से ज्यादा संख्या वाले कॉलेजों में चुनाव खर्च की यह सीमा 50 हजार रुपये तक तय की गई है.

छात्र संघ चुनाव के लिए प्रत्याशियों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा. इसके लिए प्रभारी सचिव अशोक कुमार ने आदेश भी जारी कर दिए हैं. अगर राजनीतिक दल छात्रसंघ चुनाव में पैसा लगाते हैं, तो संबंधित प्रत्याशी की चुनाव प्रक्रिया ही निरस्त कर दी जाएगी. प्रत्याशी को अपनी कक्षा 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए. प्रचार के लिए केवल हस्तनिर्मित सामग्री ही इस्तेमाल करनी होगी. सभी छह पदाधिकारियों को मतदान से पहले आम सभा में अपने विचार रखने होंगे. लिंगदोह कमेटी की संस्तुतियों का पालन नहीं करने पर नामांकन निरस्त कर दिया जाएगा.

महाविद्यालयों को भी निर्वाचन के समय किसी सरकारी अधिकारी को पर्यवेक्षक नियुक्त करना होगा. प्रत्येक महाविद्यालय में छात्रसंघ कोष की व्यवस्था करनी होगी.

एबीवीपी छात्रसंघ चुनाव में बाजी मारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसके लिए एबीवीपी ने एमबीपीजी काॅलेज में अध्यक्ष प्रत्याशी के लिए गौरव कोरंगा का नाम फाइनल कर दिया है. नैनीताल डीएसबी परिसर के लिए पूनम के नाम मुहर लगाई गई है. सितारगंज महाविद्यालय को लेकर अभी विवाद की स्थिति बनी हुई है.

एनएसयूआइ ने भी रणनीति तेज कर दी है. एमबीपीजी काॅलेज के लिए फिलहाल भुवन पांडे का नाम चर्चा में है, लेकिन संगठन सोच-समझकर ही प्रत्याशी फाइनल करना चाहता है. उम्मीद है एक-दो दिन में नाम फाइनल कर दिया जाएगा.

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