अर्बन नक्सलियों के साथ एक तो यह बड़ी समस्या है कि ये अपने दिमाग से सोचते हैं. बूढ़े हो गए लेकिन अब भी किताब पढ़ेंगे. पता नहीं, अब कौन-सा कंपटीशन निकालना है. तर्कबाजी करेंगे. अरे जो कहा जा रहा है, मान लो उसे. ज्यादा चार्वाक मत बनो. सही राष्ट्रवादी संस्कृति प्रवचन की है, आचमन की है. कान में मंत्र फूँकने की है. परस्पर विश्वास की है. गणेश जी को दूध पिला दिया पूरे देश में, पूरी दुनिया में ज्ञान-प्रसार का ऐसा अनुपम उदाहरण कोई बता दे हमें.
अब कोई संत प्रवचन में बता रहा है तक्षशिला बिहार में था, तो मान लो उसे. नहीं जी, ये कहेंगे पाकिस्तान में था. ये सब पाकिस्तान प्रेमी हैं. साइंस के स्टूडेंट हैं, इतिहास पढ़ेंगे. इतिहास के स्टूडेंट हैं, साइंस की बात करेंगे. दिल्ली में हैं, नॉर्थ ईस्ट की बात करेंगे. हैदराबाद में हैं, कश्मीर की बात करेंगे. वेनेजुएला की भी खबर रखेंगे. अजब उलटा दिमाग चलता है इन अर्बन नक्सलियों का.
कुछ ज्यादा दिमाग हो गया है इनके पास. जो देश चला रहे हैं, उनके पास अकल नहीं है, सारा ज्ञान इनको ही हो गया है. सवाल उठाएंगे. चिल्लाएँगे कि सरमायेदारों को क्यों लूट मचाने दी जा रही है. शिक्षा, रोजगार, इंसाफ की बात छेड़ेंगे.
अबे, तुम्हें क्या लेना-देना चुप्पे बैठो अपने घर पे. तुम अनपढ़ नहीं, कमजोर नहीं, मज़लूम नहीं, कहीं लट्ठ बरस रहे हैं, बरसने दो. ज्यादा जी मचले तो कुछ अनुलोम-विलोम कर लो, लाफ्टर योगा कर लो. यहाँ धर्म खतरे में पड़ा हुआ है, दुनिया भर के भगवान मुसीबत में हैं. गौमाता के सम्मान में संघर्ष छिड़ा हुआ है. कहाँ धर्म-जात की रक्षा की बात, इन्हें आदिवासियों की जमीन जाती दिखने लगती है. विधर्मी, नास्तिक कहीं के.
(वैसे अर्बन नक्सली होता क्या है, किसे पता? मगर जो ये पकड़े गए हैं, वही अर्बन नक्सली हैं तो ये वाकई वैसे ही हैं, जैसा ऊपर बताया गया है.)
न तो ये मॉब लिंचिंग करते-कराते हैं, न अफवाह फैलाते हैं, न इनके घर बम पकड़े जाते हैं. न घूस लेते हैं, न बलात्कार करते हैं. दंगों में इनका कहीं नाम नहीं होता. पकड़ें तो पकड़ें किस आरोप में!
आज अखबार में एक तस्वीर छपी है किसी बूढ़े अर्बन नक्सली की. हवा में मुट्ठी लहरा रहा है और हँस रहा है. जैसे जेल से भी डर नहीं लग रहा उसको.
अब ऐसे अर्बन नक्सलियों का साहेब करें तो करें क्या?
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बहुत बढ़िया। ललित जी चाहे तो छोटा ही लिखें पर ज्यादा लिखिए।