कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रही उत्तराखण्ड की महिलाओं को कैम्ब्रिज विवि ने बड़ा सम्मान दिया है. इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने इन पहाड़ी महिलाओं की मेहनत एवं विषम परिस्थितियों में किये गए संघर्ष को दुनिया के सामने रखा है. इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में महिलाएं कम संसाधनों के बावजूद बेहतरीन काम कर रही हैं. विवि द्वारा इसे विश्व के सामने एक नजीर के तौर पर प्रस्तुत किया है. (University of Cambridge)
अल्मोड़ा जिले में आजीविका परियोजना के तहत महिलाओं के करीब 2500 समूह हैं. इन समूहों से जुड़ी महिलाएं इन दिनों कोरोना संक्रमण से बचाव में बड़ी भूमिका निभा रही हैं. प्रत्येक ब्लाक में स्वयं सहायता एंव उत्पादक समूह के माध्यम से महिलाएं ये काम कर रही हैं. इस दौरान इन महिलाओं द्वारा भारत सरकार की गाइड लाइन का भी प्रचार किया जा रहा है. ये समूह सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं.
कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक भोजन तैयार करना. जिन परिवारों के सम्मुख भोजन का संकट है. उनके लिए भोजन सामग्री बनाना. गांव-गांव खुद जाकर सब्जी एवं फल का वितरण. गांव में सब्जी एकत्र कर चार बनाना. गांवों में लोगों को बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करना. मास्क तैयार करना. सेनेटाइजर का छिड़काव. फार्म मशीनरी बैंक से फसल कटाई में सहयोग.
कैम्ब्रिज विवि ने अपनी वेबसाइट में कोरोना के खिलाफ पहाड़ में कम संसाधनों की वजह से कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन दिए जाने के काम को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. अल्मोड़ा की महिलाओं के इस काम को पूरी दुनिया में तारीफ मिल रही है.
जिला परियोजना प्रबंधक कैलाश भट्ट द्वारा कोरोना के खिलाफ जंग में पहाड़ की महिलाओं के काम को कैम्ब्रिज विवि के सामने प्रस्तुत करने का काम किया. इसे कैम्ब्रिज विवि की वेबसाइट के लिए भेजा गया. इसके बाद विवि की टीम ने उनसे संपर्क कर इन महिलाओं के काम के बारे में विस्तृत जानकारी ली.
इसके बाद इसे विवि द्वारा इसे अपनी वेबसाइट में प्रकाशित किया गया. इस तरह उत्तराखण्ड के एक छोटे से पहाड़ी कस्बे की महिलाओं की संघर्ष की जानकारी दुनिया भर के लोगों के सामने पहुंची.
दुनिया के नामचीन शैक्षणिक संस्थान द्वारा राज्य की महिलाओं की इस उपलब्धि को सराहा जाना उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है. कैम्ब्रिज विश्विद्यालय इंग्लैंड के कैम्ब्रिज शहर में स्थित एक विश्वविद्यालय है. यह अंग्रेजी भाषी देशों में दूसरा सबसे पुराना और यूरोप में चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. अकादमिक तौर पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय की गणना दुनिया के पांच सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में की जाती है. वर्ष 2009 तक इस विश्वविद्यालय की फेरहिस्त में 85 नोबल पुरस्कार विजेता शामिल हैं. पहाड़ के लोगों को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने वाली ख़ास बंदूक
वर्तमान समय में इसके साथ 31 कॉलेज, 100 विभाग, फैकल्टीज और सिंडिकेट और 6 स्कूल सम्बद्ध हैं. इसमें 17000 छात्र पंजीकृत हैं, जिनमें 120 विभिन्न देशों के 1000 छात्र शामिल हैं.
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इनपुट: दैनिक हिन्दुस्तान से
प्रमोद डालाकोटी दैनिक हिन्दुस्तान के अल्मोड़ा प्रभारी हैं.
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