हिन्दू धर्मग्रंथों और पुराणों के अनुसार भगवान शिव (Lord Shiva) जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है. ज्योतिर्लिंगों की संख्या 12 है.(Twelve Jyotirlinga) हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन सुबह और शाम के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करता है उसके सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं.
सोमनाथ
पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मन्दिर गुजरात के (सौराष्ट्र) प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र के अन्तर्गत प्रभास में है. जनश्रुति है कि इसी क्षेत्र में भगवान कृष्ण ने यदु वंश का संहार करने के बाद अपनी लीला समाप्त कर ली थी. यहीं पर जरा नामक व्याध ने अपने बाणों से उनके चरणों को भेद दिया था.
मल्लिकार्जुन
आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थापित है. इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है. महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ सम्पादित करने के बराबर ही फल मिलता है.
महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश
तृतीय ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थापित है. इसे महाकाल या ‘महाकालेश्वर’ के नाम से जाना जाता है. ऐतिहासिक धर्मग्रंथों में इसे अवन्तिका पुरी के नाम से भी जाना जाता है.
ओंकारेश्वर, मालवा
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है. इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है. ओंकारेश्वर स्थान भी मालवा क्षेत्र में ही पड़ता है.
केदारनाथ, उत्तराखण्ड
यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थापित है. केदारनाथ को केदारेश्वर भी कहा जाता है. यहाँ से पूर्व दिशा की ओर अलकनन्दा नदी के तट पर भगवान श्री बद्री विशाल का भव्य धाम है. केदारनाथ का दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा असफल है. ऐसा करने पर उस यात्रा का कोई पुण्य नहीं मिलता.
भीमाशंकर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में मुम्बई पूना मार्ग पर भीमा नदी के किनारे सहयाद्री पर्वत पर डाकिनी में स्थापित है ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर. सहयाद्रि पर्वत ही भीमा नदी का उद्गमस्थल भी है. महादेव, शिव-शंकर के बारह ज्योतिर्लिंगों में भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान हैं.
विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश
सातवाँ ज्योतिर्लिंग काशी में स्थापित ‘विश्वनाथ’ माना जाता है. कहा जाता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थापित है. काशी के विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग को आनन्दवन, आनन्दकानन, अविमुक्त क्षेत्र तथा काशी आदि नामों से जाना जाता है.
त्र्यम्बकेश्वर, महाराष्ट्र
नासिक, महाराष्ट्र में पंचवटी से लगभग अठारह मील की दूरी पर स्थापित आठवें ज्योतिर्लिंग को त्र्यम्बक कहा जाता है. यह मन्दिर ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के पावन तट पर स्थित है. इसे त्र्यम्बक ज्योतिर्लिंग, त्र्यम्बकेश्वर महादेव मन्दिर भी कहा जाता है. ब्रह्मगिरि पर्वत गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी है. इस नदी को गंगा की ही तरह आध्यात्मिक महत्त्व का माना जाता है. गोदावरी को पवित्र नदी माना जाता है.
वैद्यनाथ, झारखंड
झारखण्ड प्रान्त के संथाल परगना में जसीडीह में है नौवां ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ. पुराणों में इस जगह को चिताभूमि भी कहा गया है. भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे ‘वैद्यनाथधाम’ कहा जाता है.
नागेश्वर, गुजरात
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रान्त के द्वारकापुरी में स्थापित है. नागेश नामक ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्र में गोमती नदी के समीप है. इसे दारूकावन भी कहा जाता है. इस सम्बन्ध में अन्य मत भी हैं. कुछ लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं. कई लोग उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित जागेश्वर को यह दर्जा देते हैं. विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है जागेश्वर
रामेश्वरम, तमिलनाडु
तमिलनाडु के रामनाथपुरम जनपद में स्थित है दसवां ज्योतिर्लिंग रामेश्वर. रामेश्वरतीर्थ को सेतुबन्ध तीर्थ भी कहा गया है. यहाँ समुद्र तट पर भगवान रामेश्वरम का विशाल मन्दिर स्थापित है. यह चार धामों में से एक धाम भी है.
घृश्णेश्वर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग अठारह किलोमीटर की दूरी पर बेरूलठ गांव के पास है एकादशवां ज्योतिर्लिंग घृश्णेश्वर. इस जगह को शिवालय, घृश्णेश्वर, घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहा जाता है. घृश्णेश्वर से लगभग आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में दौलताबाद का ऐतिहासिक क़िला भी मौजूद है.
(सभी फोटो इन्टरनेट से साभार)
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…