उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले के सीमांत गांवों के ग्रामीण राज्य गठन के 2 दशक बाद भी सड़क, अस्पताल, स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. राज्य के अंतिम छोर पर बसे नामिक गांव से एक प्रसूता को बरसात की वजह से और ज्यादा खराब हो चुके रास्ते से पहले डोली में बैठाकर 10 किमी बागेश्वर के गोगिना गांव तक लाया गया, उसके बाद 35 किमी की दूरी गाड़ी से तय कर कपकोट अस्पताल में भर्ती किया. राहत की बात यह रही कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, कपकोट में महिला ने सकुशल पुत्र को जन्म दिया.
नामिक के ग्रामीण भोपाल सिंह टाकुली की 27 वर्षीय पत्नी गीता 4 दिनों से प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी. मंगलवार को परेशानी पड़ने पर जब उन्हें अस्पताल की सख्त जरूरत थी तो कपकोट ले जाने के अलावा कोई चारा न था. इसके लिए 10 किमी का खतरनाक पैदल और 35 किमी सड़क मार्ग से ही जाया जा सकता था. टाकुली दंपत्ति भाग्यशाली रहे कि उन्हें इस मुसीबत के बाद स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई.
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों के सभी दुर्गम गाँवों की ही तरह नामिक के ग्रामीण भी एक अरसे से अपने गांव के लिए सड़क की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस की सरकार के समय शुरू हुआ सड़क निर्माण का काम कछुआ चाल से चल रहा है और सड़क का निर्माण पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सड़क न होने से ग्रामीण आज भी मध्ययुगीन जीवन जीने को विवश हैं. उन्हें कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है. बीमार और प्रसूताओं को अस्पताल पहुंचाना उनमें से एक है. राज्य बना सरकारें बनीं-बदलीं लेकिन हालत हैं कि बदलने का नाम नहीं ले रहे हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…