अट्ठारहवीं शताब्दी में ब्रिटिश भारत के कुमाऊँ-गढ़वाल मंडलों में जातिवादी उत्पीड़न अपने चरम पर था. मुंशी हरिप्रसाद टम्टा का नाम उन राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं में प्रमुखता से लिया जाना चाहि... Read more
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